नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब दोनों देशों की विमानन इंडस्ट्री पर साफ दिखाई दे रहा है। पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के लिए अपने हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को बंद कर दिया है। इस कदम से जहां भारतीय विमानन कंपनियों को लंबे रास्तों और बढ़ते खर्च का सामना करना पड़ रहा है, वहीं पाकिस्तान को भी ओवरफ्लाइट शुल्क के रूप में होने वाली कमाई से बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बंदी से पाकिस्तान को सालाना करीब 100 मिलियन डॉलर (लगभग ₹820 करोड़) का नुकसान हो सकता है।
क्या है ओवरफ्लाइट शुल्क?
ओवरफ्लाइट शुल्क वह चार्ज है जो देश अपनी हवाई सीमा का इस्तेमाल करने वाली विमानन कंपनियों से वसूलते हैं। यह शुल्क हवाई यातायात नियंत्रण और नेविगेशन सेवाओं के रखरखाव में मदद करता है। यह शुल्क विमान के वजन (MTOW) और तय की गई दूरी के आधार पर लिया जाता है।
उदाहरण के लिए, एक बोइंग 737 को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से गुजरने के लिए करीब 580 डॉलर का शुल्क देना पड़ता है, जबकि बड़े विमानों के लिए यह राशि और ज्यादा हो सकती है।
पाकिस्तान को पहले भी हुआ था नुकसान
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद किया है। साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान ने ऐसा कदम उठाया था, जिसके चलते उसे करीब 100 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। उस दौरान रोजाना करीब 400 उड़ानें प्रभावित हुई थीं, और पाकिस्तान सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) को ओवरफ्लाइट शुल्क से होने वाली आय में रोजाना 232,000 डॉलर की कमी झेलनी पड़ी थी। लैंडिंग और पार्किंग शुल्क को मिलाकर यह नुकसान 300,000 डॉलर प्रतिदिन तक पहुंच गया था।
भारतीय उड़ानों पर भी असर
पाकिस्तान के इस फैसले का असर भारतीय विमानन कंपनियों पर भी पड़ रहा है। एयर इंडिया ने सरकार को पत्र लिखकर बताया है कि यदि यह बंदी एक साल तक जारी रही, तो उसे करीब 600 मिलियन डॉलर (लगभग ₹5,000 करोड़) का नुकसान हो सकता है। एयर इंडिया की यूरोप, अमेरिका और कनाडा जाने वाली उड़ानें अक्सर पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से होकर गुजरती हैं। अब इन उड़ानों को लंबे रास्ते अपनाने पड़ रहे हैं, जिससे ईंधन लागत और उड़ान समय दोनों बढ़ गए हैं। कई उड़ानों को अब यूरोपीय हवाई अड्डों पर तकनीकी ठहराव लेना पड़ रहा है।
दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर असर
पाकिस्तान की तरह भारत को भी ओवरफ्लाइट शुल्क से होने वाली आय में कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। इससे पाकिस्तानी विमानन कंपनियों को अब बांग्लादेश या दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे मलेशिया जाने के लिए चीन या श्रीलंका जैसे लंबे रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों को इस तनाव का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन भारत का विमानन बाजार पाकिस्तान की तुलना में बड़ा होने के कारण उसका नुकसान अपेक्षाकृत कम हो सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने कहा है कि सरकार भारतीय एयरलाइंस के साथ मिलकर इस स्थिति का आकलन कर रही है और यात्रियों व विमानन कंपनियों के लिए वैकल्पिक रास्तों पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने अभी वित्तीय सहायता देने की बात से इनकार किया है।
भारत -पाकिस्तान के बीच यह तनाव न केवल कूटनीतिक स्तर पर बल्कि आर्थिक और विमानन क्षेत्र में भी गहरे प्रभाव डाल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।