टेंडर मैनेजमेंट घोटाले (Tender Management Ghotala) में बड़ा खुलासा हुआ है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) द्वारा दर्ज एक नये केस (05/2025) में सामने आया है कि इस घोटाले में आईएएस अधिकारी संजीव हंस के साथ नगर विकास एवं आवास विभाग तथा भवन निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिकारियों को भी ठेकेदार रिशु श्री के माध्यम से रिश्वत दी गई थी। इस खुलासे की पुष्टि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
बिहार के IAS अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस, SVU ने दर्ज किया नया मामला
गुरुवार को दर्ज एफआईआर में आईएएस संजीव हंस, ठेकेदार रिशु श्री, उसके सहयोगी संतोष कुमार, निजी कंपनी के निदेशक पवन कुमार और कई अज्ञात सरकारी अधिकारियों को आरोपित बनाया गया है। ईडी द्वारा ठेकेदार रिशु श्री के विभिन्न ठिकानों पर की गई छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे यह संकेत मिलता है कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों को टेंडर प्रबंधन के एवज में भारी रिश्वत दी गई थी।
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, नगर विकास विभाग से जुड़ी 33 नालों की जैविक सफाई योजना, बिहार शरीफ और मुजफ्फरपुर एसटीपी एवं सीवेज नेटवर्क योजना, और बिहार शरीफ स्मार्ट रोड परियोजनाओं में भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। इन परियोजनाओं में शामिल ठेकेदारों को न केवल एडवांस भुगतान किया गया, बल्कि बिल भुगतान के समय ‘अन्य खर्चों’ के नाम पर अतिरिक्त राशि भी दी गई, जिसे रिश्वत के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की आशंका है। अब एसवीयू इन मामलों में गहन जांच शुरू कर चुकी है। शुरुआती जांच में कई बड़े नाम सामने आने की संभावना है, जिससे राज्य के प्रशासनिक ढांचे में हड़कंप मच गया है।