उत्तराखंड : ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की है। शंकराचार्य ने कहा कि राहुल गांधी ने संसद में मनुस्मृति को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उन्हें हिंदू धर्म से बाहर करने का फैसला लिया गया।
शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी को अब हिंदू न माना जाए और किसी भी हिंदू पुरोहित या पंडित को उनकी पूजा नहीं करानी चाहिए।
पृष्ठभूमि:
यह विवाद पिछले साल दिसंबर 2024 में उस समय शुरू हुआ, जब राहुल गांधी ने संसद में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर एक बहस के दौरान मनुस्मृति की आलोचना की थी। गांधी ने मनुस्मृति को ऐसा ग्रंथ बताया था जो “बलात्कारियों की रक्षा करता है” और कहा था कि वह संविधान को मानते हैं, न कि मनुस्मृति को।
इस बयान पर शंकराचार्य ने कड़ा ऐतराज जताया और राहुल गांधी को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा। तीन महीने तक कोई जवाब न मिलने पर शंकराचार्य ने यह कदम उठाया।
शंकराचार्य का बयान:
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “राहुल गांधी ने संसद में हिंदू धर्म का अपमान किया है। मनुस्मृति हर हिंदू और सनातनधर्मी के लिए एक पवित्र ग्रंथ है। राहुल गांधी ने इसे खारिज कर दिया और बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की। जो व्यक्ति मनुस्मृति को अपना धर्मग्रंथ नहीं मानता, वह हिंदू नहीं हो सकता।”
उन्होंने आगे कहा, “आज से राहुल गांधी को हिंदू न माना जाए। हिंदू मंदिरों में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाए और किसी भी धार्मिक कार्य में उनकी भागीदारी न हो।”
पहले भी हुआ था विरोध:
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी के इस बयान पर विवाद हुआ हो। फरवरी 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान परम धर्म संसद में भी एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की मांग की गई थी। उस समय भी शंकराचार्य ने गांधी के बयान को हिंदू धर्म के खिलाफ बताया था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश शुरू कर दी है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “राहुल गांधी बार-बार हिंदू धर्म को अपमानित करते हैं। शंकराचार्य जी का यह कदम स्वागत योग्य है।”
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस घोषणा का जवाब कैसे देती है। साथ ही, इस घटना का आगामी राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह भी समय के साथ स्पष्ट होगा।