नयी दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में बढ़े तनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। पाकिस्तान ने तुर्की से मदद मांगी है और इसी कड़ी में तुर्की का नेवी जहाज टीसीजी ब्यूयूकाडा (TCG Büyükada) कराची बंदरगाह पर पहुंचा है। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब हाल ही में 23 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी, जो 2019 के बाद इस क्षेत्र में सबसे घातक हमला माना जा रहा है।
पाकिस्तानी नौसेना ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया है। हालांकि, भारतीय पक्ष इसे संदेह की नजर से देख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पहले से ही पहलगाम हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता का शक जता रहा है। विदेश नीति विश्लेषक माइकल कुगेलमैन ने कहा, “अगर भारत को इस हमले में पाकिस्तान की किसी भी तरह की भूमिका का पता चलता है, तो भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की संभावना बढ़ सकती है।”
पहलगाम में हुए हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। इस हमले को 2019 के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान पर आतंकियों को समर्थन देने का आरोप लगाया है, जिसे पाकिस्तान ने सिरे से खारिज कर दिया है। इस घटना के बाद भारत में कश्मीरियों के खिलाफ उत्पीड़न की कई घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
तुर्की का यह नेवी जहाज 29 अप्रैल से 1 मई तक ओमान में रुका था और इसके बाद कराची पहुंचा। पाकिस्तानी मीडिया ने इस यात्रा को दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा सहयोग का प्रतीक बताया है। हालांकि, तुर्की के विदेश नीति विशेषज्ञों ने इसे एक सामान्य बंदरगाह यात्रा करार देते हुए तनाव को कम करने की कोशिश की है। फिर भी, भारत-पाक तनाव के संदर्भ में इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी चर्चा में हैं। हाल ही में अमेरिका में एक द्विपक्षीय विधेयक पेश किया गया है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को “राजनीतिक कैदी” बताते हुए उनकी रिहाई की मांग की गई है। इस विधेयक में जनरल मुनीर पर राजनीतिक विरोधियों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उन पर प्रतिबंध लगाने की बात भी कही गई है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्षविराम समझौता हुआ था, जो अब तक काफी हद तक कायम है। लेकिन पहलगाम जैसे हमलों ने इस शांति को खतरे में डाल दिया है। 2016 के उरी हमले के बाद भारत ने “सर्जिकल स्ट्राइक” की थी, और अब विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका साबित होती है, तो भारत एक बार फिर सख्त कदम उठा सकता है।
यह घटनाक्रम क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। भारत सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।