आज बिहार प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम पटना में एक विशेष प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ। इस प्रेस वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहें। इस मौके पर बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस विधानमंडल दल नेता डॉ शकील खान, विधानपरिषद में दल के नेता मदन मोहन झा, बिहार प्रदेश कांग्रेस समेत अन्य वरिष्ठ नेतागण मौजूद रहें। केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना को लेकर लिए गए निर्णय के बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार मुद्दा बनाया हुआ है। इसी क्रम में सोमवार को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कई बिंदुओं पर बीजेपी पर निशाना साधा।

एक ही सिक्के के दो पहलू
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी का डीएनए जातीय जनगणना के विरोध का है। बीजेपी की सरकार ने जातीय जनगणना का विरोध किया। जातीय जनगणना के मांग है और सामाजिक न्याय की धुरी भी है। जातीय जनगणना सामाजिक बदलाव और समानता, दोनों का उद्घोष है। जिसका वक्त आ गया है। सच्चाई है कि कांग्रेस का सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना, एक ही सिक्के के दो पहले हैं।
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बीजेपी ने कूड़ेदान में डाला
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश में हमेशा जातिगत जनगणना का भाव रहा है। कांग्रेस की इसी सोच के चलते इस देश में आजादी के बाद पहली बार 2011 में देश में जातीय जनगणना करवाने का निर्णय लिया था। दो विभागों, डिपार्मेंट आफ पॉवर्टी एलिवेशन और अर्बन डेवलपमेंट को इसकी जिम्मेदारी दी गयी थी। रिपोर्ट तीन जुलाई 2015 को आ गए थे लेकिन एक षड्यंत्र के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने और उनके मित्र दलों ने जातीय जनगणना की उस गिनती के आंकड़ों को कूड़ेदान में डाल दिया। तब से लेकर आज तक यह लड़ाई चल रही है। 11 साल से राहुल गांधी अपने जीवन का मिशन बनाकर के लड़ रहे हैं।
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बीजेपी को झुकना पड़ा
बीजेपी और उनके साथी दल के डीएनए में ही विरोध है। इसलिए वह जातिगत जनगणना के विरोधी हैं। 2011 की जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को खारिज किया और कुडेदान में डाल दिया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर जातिगत जनगणना का विरोध किया। अदालत में विरोध किया। जब कुछ नहीं बचा है तो लाचार होकर गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ा आदिवासियों की बात पर झुकना पड़ा। जातीय जनगणना का एक ही मॉडल है और वह तेलंगाना है। सुरजेवाला ने बीजेपी पर निशाना चाहते हुए कहा कि बीजेपी भेड़िया है। जो खाल ओढ़ करके लोगों को भ्रमित कर रही है। यह वही नरेंद्र मोदी हैं, जो जातिगत जनगणना मांगने वालों को अर्बन नक्सली और देश तोड़ने वाला कहते थे। इन्होंने बटेंगे और कटेंगे का नारा भी दिया था। पर सच्चाई है कि यह दलित, आदिवासियों और विशेष रूप से इस देश के पिछडे लोगों की, बिहार के साथ ही अन्य गरीबों की संयुक्त ताकत है, जिसकी वजह से राहुल गांधी के संघर्ष के आगे मोदी सरकार को झुकना पड़ा।
हमारे शीर्ष नेता ने रखी मांग
सुरजेवाला का यह भी कहना था कि मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनावी घोषणा पत्र में यह मांग प्रमुखता से रखी थी। पिछले एक दशक से राहुल गांधी ने इस बात को उठाया। भारत जोड़ो यात्रा का सबसे प्रमुख नारा गिनती करो, हक दो, हिस्सेदार बनाओ था। कांग्रेस पार्टी का एक-एक साथी अंतिम दम तक लड़ाई को लड़ेगा। हम इसका सही मायने में बिहार समेत पूरे हिंदुस्तान में क्रियान्वयन कर के दिखाएंगे।
केवल शिगुफा न बने
एक सवाल के जवाब में रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने जातीय गणना करवाने की बात तो कह दी लेकिन न शुरू होने की तारीख बताइ और न ही समाप्त होने की तारीख बताइ। इसलिए एक शंका है कि पिछली बार जैसे बिहार में आकर के उन्होंने बोली लगाई थी, इसी प्रकार इसे भी एक शिगुफा बनाकर के न छोड़ दिया जाए। एक अन्य सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा कि जातिगत जनगणना किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं है, किसी को पद देने के लिए नहीं है बल्कि यह सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा हथियार है। कांग्रेस पार्टी केवल अंग्रेजों से नहीं लड़ी। हम अंग्रेजों के साथ-साथ समाज की भ्रांतियां, कुरीतियों, भेदभाव, रूढ़िवादियों से भी लडे हैं। हर बार हम सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार बने हैं।
राहुल गांधी कर रहे हैं संघर्ष
इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि देश में दो व्यवस्था चल रही है। जिसमें से एक लोकतंत्र को बचाने का, जबकि दूसरा लोकतंत्र को खत्म करने का है। हमारे नेता राहुल गांधी पिछले ढाई साल से संघर्ष कर रहे हैं। मुख्य धारा से वंचित लोगों के लिए जातीय जनगणना को उठाया और राज्यसभा में हमारे अध्यक्ष ने कहा था कि जाति जनगणना हम करा कर के दम लेंगे।