राजनीतिक रूप से उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे बिहार में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना स्थित एक अणे मार्ग पर अपने सरकारी आवास पर जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नेताओं के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में जहां पार्टी के संगठनात्मक पुनर्गठन और बोर्ड-आयोगों की नियुक्तियों पर चर्चा हुई, वहीं विपक्ष ने इसे लेकर सियासी तीर चलाने में देर नहीं की।
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस बैठक को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार जिस तरह से बढ़ा है, उसका कलेक्शन कितना हुआ है, शायद वही पूछ रहे होंगे। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि नीतीश अब खुद के नियंत्रण में नहीं हैं और बिहार में अब रिटायर्ड अधिकारी राज्य को चला रहे हैं।
तेजस्वी ने आगे कहा कि “मुख्यमंत्री की हालत अब पीड़ादायक हो चुकी है। वे खुद स्वीकार कर चुके हैं कि कभी कोई इधर ले जाता है, तो कोई उधर। जब एक मुख्यमंत्री यह कहे कि उसकी नहीं चलती, तो सवाल उठता है कि बिहार आखिर चला कौन रहा है?”
उन्होंने यहां तक कह दिया कि “मुख्यमंत्री हाईजैक हो चुके हैं। अब वह खुद अपने निर्णय नहीं ले पा रहे हैं और बार-बार खुद को प्रमाणित कर रहे हैं।” यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब जदयू आंतरिक सुधार और चुनावी रणनीति के लिहाज से बैठक कर रहा है।
क्या हुआ जदयू की बैठक में?
इस अहम बैठक में जदयू के वरिष्ठ नेता जैसे अशोक चौधरी, संजय झा, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, सुनील कुमार, एमएलसी खालिद अनवर और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में बोर्ड-आयोगों के रिक्त पदों को भरने, संगठन में नई ऊर्जा लाने और आगामी चुनावी रणनीति पर गहन मंथन हुआ। वर्तमान समय में बिहार के कई बोर्ड और आयोगों में अध्यक्ष पद खाली हैं। ऐसे में चुनावी साल को देखते हुए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जब तेजस्वी से पप्पू यादव की उस सलाह पर प्रतिक्रिया मांगी गई जिसमें उन्होंने कांग्रेस को 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी, तो तेजस्वी ने इस सवाल को टाल दिया और जवाब देने से बचते नजर आए।