मोतिहारी नगर निगम की मेयर प्रीति गुप्ता के पति देवा गुप्ता एक संगीन आपराधिक मामले के केंद्र में आ चुके हैं। जैसे ही उनके खिलाफ संगठित अपराध, रंगदारी, धोखाधड़ी और कांट्रेक्ट किलिंग जैसे संगीन आरोपों में एफआईआर दर्ज हुई, बिहार पुलिस ने ताबड़तोड़ एक्शन में 12 से अधिक स्थानों पर छापेमारी कर माहौल गर्म कर दिया। नगर थाना में दर्ज एफआईआर में देवा गुप्ता और उनके 14 सहयोगियों को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है। कार्रवाई की शुरुआत होते ही मोतिहारी के गांधीनगर, रमना, और शहर के प्रमुख व्यावसायिक ठिकानों के अलावा अरेराज, ढाका, संग्रामपुर और गोविंदगंज जैसे इलाकों में भी दबिश दी गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जल्द ही दिल्ली स्थित ठिकानों पर भी छापा मारा जाएगा, जिससे इस गिरोह की राष्ट्रीय जड़ें उजागर हो सकती हैं।
एफआईआर में दर्ज शिकायतकर्ता संजय कुमार जायसवाल उर्फ धीरज ने दावा किया है कि देवा गुप्ता का नेटवर्क केवल मोतिहारी में ही नहीं, बल्कि राज्य के कई हिस्सों में सक्रिय है। उन पर कांट्रेक्ट किलिंग, धमकी और अवैध वसूली के संगठित रैकेट चलाने का आरोप है। यह भी सामने आया है कि कई संपत्तियां और कंपनियां उनके रिश्तेदारों के नाम पर हैं, जो अब जांच के घेरे में हैं।
देवा गुप्ता के खिलाफ जांच केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है। प्राथमिकी में उनके चाचा, मामा, भाई, मौसा और बहनोई तक का नाम सामने आया है। पुलिस इस पूरे नेटवर्क की फाइनेंशियल ट्रेल, कंपनियों में हिस्सेदारी और लेन-देन की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस के रडार पर वे अधिकारी और व्यापारी भी हैं, जो इस नेटवर्क से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं।
देवा गुप्ता की पत्नी और नगर निगम की मेयर प्रीति गुप्ता की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। जनता के बीच चर्चा है कि जब पति के ऊपर इतने गंभीर आरोप हैं, तो मेयर पद पर उनकी निष्पक्षता कैसे बनी रह सकती है?
इस पूरे प्रकरण ने न केवल मोतिहारी की राजनीति में उबाल ला दिया है, बल्कि कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।