पूर्वी चंपारण जिले की चर्चित रक्सौल विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में अहम स्थान रखती है। 1951 से 1985 तक कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट अब 2000 से भाजपा के कब्जे में है। वर्ष 2020 के चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बदलकर भी जीत का सिलसिला कायम रखा, जो बताता है कि पार्टी की जड़ें यहां कितनी मजबूत हैं।
चुनावी इतिहास: कांग्रेस से भाजपा तक का सफर
- 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राधा पांडे जीते थे।
- 1985 तक कांग्रेस ने यहां 8 बार विजय हासिल की थी, जिसमें 1969 से 1985 तक लगातार पांच बार जीत दर्ज की गई।
- 1990 और 1995 में जनता दल के राज नंदन राय दो बार जीते।
- 2000 से 2015 तक लगातार भाजपा के अजय कुमार सिंह ने चार बार जीत दर्ज की।
- 2020 में भाजपा ने प्रमोद कुमार सिन्हा को टिकट दिया, जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राम शंभु यादव को हराया।
2020 का चुनाव परिणाम (रक्सौल विधानसभा)
प्रत्याशी | दल | वोट | प्रतिशत |
---|---|---|---|
प्रमोद कुमार सिन्हा | भाजपा | 80,979 | 45.60% |
राम शंभु यादव | कांग्रेस | 44,056 | 24.81% |
सुरेश कुमार यादव | निर्दलीय | – | – |
जातीय समीकरण: यादव-मुस्लिम समीकरण बना विपक्ष की ताकत, लेकिन भाजपा का जनाधार बरकरार
- मुस्लिम मतदाता: 62,276 (22.4%)
- एससी मतदाता: 28,525 (10.26%)
- एसटी मतदाता: 2,030 (0.73%)
- ग्रामीण मतदाता: 2.42 लाख (87.25%)
- शहरी मतदाता: 35,447 (12.75%)
यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, लेकिन भाजपा को भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी और राजपूत मतदाताओं का समर्थन मिला है।
रक्सौल विधानसभा सीट का राजनीतिक सफर कांग्रेस के वर्चस्व से भाजपा की मजबूती तक पहुंचा है। 2025 के विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपनी सीट बचा पाती है या जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे कोई नया समीकरण बना देंगे।