नई दिल्ली : दिल्ली के तैमूर नगर इलाके में मंगलवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नगर निगम (एमसीडी) ने संयुक्त रूप से एक बड़े अतिक्रमण हटाओ अभियान को अंजाम दिया। इस कार्रवाई में तैमूर नगर ड्रेन के आसपास बने अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के 28 अप्रैल 2025 के आदेश के बाद की गई, जिसमें ड्रेन के किनारे अतिक्रमण हटाने के सख्त निर्देश दिए गए थे।
सुबह 9 बजे शुरू हुए इस अभियान में डीडीए ने आधा दर्जन से अधिक बुलडोजरों का इस्तेमाल किया और आधे किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैले अवैध निर्माणों को तोड़ा। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये अतिक्रमण दिल्ली में बारिश के दौरान जलभराव की समस्या को बढ़ा रहे हैं, क्योंकि ड्रेन बारिश के पानी को ठीक से निकाल नहीं पा रहा है। जस्टिस प्रथिबा सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने साफ कहा कि सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करने वाले कुछ लोगों के हित, बड़े जनसमूह के कल्याण से ऊपर नहीं हो सकते।
अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया। कई निवासियों का कहना था कि वे पिछले 40-50 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं और उन्हें कार्रवाई से पहले बहुत कम समय का नोटिस दिया गया। लोगों ने यह भी शिकायत की कि उनके पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है, जिससे उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमें अचानक बेघर कर दिया गया, सरकार को पहले हमारे लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी।”
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। इसकी वजह से कार्रवाई के दौरान किसी बड़े विवाद की स्थिति नहीं बनी और अभियान सुचारू रूप से पूरा हुआ। डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि बार-बार चेतावनी देने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया था, जिसके बाद कोर्ट के आदेशानुसार यह कदम उठाना पड़ा।
तैमूर नगर ड्रेन लंबे समय से दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में जलभराव का एक प्रमुख कारण रहा है। प्राप्त सुचना के अनुसार, यह ड्रेन पहले 20 फीट चौड़ा था, लेकिन कचरे, मलबे और अतिक्रमण की वजह से इसकी चौड़ाई कुछ जगहों पर महज 4-5 फीट रह गई थी। जुलाई 2023 में एमसीडी ने ड्रेन की सफाई कर 300 टन सिल्ट और 39 टन कचरा हटाया था, लेकिन समस्या बनी रही। इसके बाद कोर्ट के हस्तक्षेप से यह कार्रवाई जरूरी हो गई।
यह कार्रवाई दिल्ली में शहरी प्रबंधन और अवैध निर्माण की समस्या को एक बार फिर उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ प्रभावित लोगों के पुनर्वास की ठोस योजना बनानी चाहिए, ताकि इस तरह की कार्रवाइयों से सामाजिक तनाव न बढ़े। तैमूर नगर की यह घटना उन चुनौतियों को भी रेखांकित करती है, जो दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बुनियादी ढांचे के विकास और पुराने निवासियों के हितों को संतुलित करने में सामने आती हैं।