[Team isider] पुरुषों की तमाम बातों को दरकिनार कर किचन से कैबिनेट और घर की चारदीवारी से खेल के मैदान तक, गुपचुप घर में सिलाई-बुनाई करती, पापड़-बडि़यां तोड़ने से बोर्डरूम तक एक लंबा सफर तय करने वाली आधी आबादी ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि वह घर के साथ-साथ बाहर का काम भी उतने ही बेहतर तरीके से संभाल सकती है।
महिलाओं ने अब ठान लिया है कि वे रुकेंगी नहीं
यह सही है कि किसी भी बड़े बदलाव के लिए जरूरी है समाज की सोच बदलना। बेशक अभी पुरुष समाज की सोच में 50% ही बदलाव आया हो, लेकिन महिलाओं ने अब ठान लिया है कि वे नहीं रुकेंगी और तमाम बाधाओं के बावजूद चलती रहेंगी। फिर चाहे वे शहरी महिला हो या किसी पिछड़े गांव की जो आज सरपंच बनने की ताकत रखती है और खाप व्यवस्था को चुनौती भी देती है। आज हम बात कर रहे हैं आधी आबादी यानि कि महिलाओं की।
हम बात कर रहे हैं झारखंड विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी की। झारखंड विधानसभा में 10 महिलाएं विधायक चुनी गईं। इनमें कांग्रेस से 4, जबकि भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा से 3-3 विधायक हैं। इनमें से 6 पहली बार विधानसभा पहुंचीं ।
2014 में 8 महिलाएं विधानसभा पहुंची थीं। हालांकि, 2016 में हुए उपचुनाव में 2 और महिलाएं विधायक चुनी गई थीं। ऐसे में विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 10 तक पहुंच गई थी।
जोबा मांझी सबसे ज्यादा उम्र की महिला विधायक
मनोहरपुर से जीतीं झामुमो विधायक जोबा मांझी सबसे ज्यादा उम्र की विधायक हैं। वे 55 साल की हैं। जोबा मांझी इस सीट से पांच बार विधायक चुनी गयी। जोबा के पति 1985 में विधायक बने थे। 14 अक्तूबर 1994 को जब उनकी हत्या हो गयी, तो उसके बाद 1995 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी जोबा माझी चुनाव लड़ी और विधायक चुनी गयी। इसके बाद 2000, 2005, 2014 व 2019 में भी विधायक बनीं।
अंबा प्रसाद सबसे युवा विधायक
बड़कागांव से जीतीं कांग्रेस प्रत्याशी अंबा प्रसाद सबसे युवा विधायक हैं। वे 31 साल की हैं और बड़कागांव सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचीं। सबसे पहले तो उन्होंने अपने माता-पिता की परंपरागत सीट पर ही परिवार और पार्टी की ओर से जीत की हैट्रिक लगाई। उनके पास हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री है। इससे पहले उन्होंने स्कूली पढ़ाई हजारीबाग के माउंट कार्मेल स्कूल और 12वीं की पढ़ाई वहीं पर डीएवी स्कूल से की थी।
दो बड़ी मीडिया हाउस में काम भी कर चुकी हैं दीपिका पांडेय सिंह
दीपिका पांडेय सिंह कांग्रेस की टिकट पर महगामा सीट से जीत कर पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं हैं। दीपिका के पति रत्नेश सिंह टाटा स्टील में इंजीनियर हैं। दीपिका विधायक बनने से पहले गोड्डा कांग्रेस जिला अध्यक्ष रही हैं। इसके अलावा वे यूथ कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव, झारखंड युवा कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही हैं। उन्होंने दिल्ली में पढ़ाई के दौरान एनएसयूआई से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। वे देश की दो बड़ी मीडिया हाउस में काम भी कर चुकी हैं।
अपर्णा सेनगुप्ता के शख्सियत और उनका अंदाज जनता को आया पसंद
धनबाद जिले की निरसा विधानसभा सीट को वाम दल का गढ़ माना जाता है। जहां से बीजेपी के टिकट पर अपर्णा सेन गुप्ता विधानसभा पहुंची। निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता विधानसभा चुनाव से पहले अपने भाषणों में निरसा को झारखंड का सबसे विकसित क्षेत्र बनाने का दावा करती रहीं। अब वे क्षेत्र में विकास का कमल खिला रही हैं।
डॉ. नीरा यादव सबसे ज्यादा शिक्षित विधायक
कोडरमा से भाजपा विधायक डॉ. नीरा यादव पीएचडी हैं। डॉ. नीरा यादव 2014 के चुनाव के तब के राजद प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी को हराकर पहली बार यहां बीजेपी का परचम लहराने में कामयाबी हासिल ।की थी। वहीं 2019 में भी बीजेपी की टीकट पर जीत कर विधानसभा पहुंची। डॉ. नीरा यादव पीएचडी हैं।
पूर्णिमा नीरज सिंह ने पति की मौत के बाद राजनीतिक में कदम रखा
पति की मौत के बाद पूर्णिमा नीरज नीरज सिंह ने राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस की कांग्रेस के टिकट पर झरिया सीट से जीत कर विधानसभा पहुंची। उनका जन्म 21 नवंबर 1985 को वाराणसी उत्तरप्रदेश राज्य में हुआ। इनके दादा जी एक आईपीएस (IPS) Officer थे, पूर्णिमा सिंह का लगभग जीवन अपने दादा जी के साथ गुजरा है उन्हीं की छाया में इनकी पढ़ाई लिखाई हुई। Purnima Niraj Singh की पढाई लिखाई उत्तरप्रदेश के अलग अलग स्कूलों में हुई है, 12वीं क्लास तक कि पढाई में पूर्णिमा नीरज सिंह ने करीब 12 बार स्कूल change करना पड़ा।
ममता देवी आंगनबाड़ी सेविका से पार्षद और फिर बनी विधायक
कांग्रेस का परचम लंबे अर्से बाद रामगढ़ में लहराया है। आंगनबाड़ी सेविका से पार्षद और फिर रामगढ़ से विधायक बनी। रामगढ़ विधायक ममता देवी क्षेत्र में जनसमस्याओं के समाधन के लिए आंदोलन का पथ चुनने के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अपने क्षेत्र की समस्या के समाधान के लिए आंदोलन की उपज भी कह सकते हैं। विधायक बनने के बाद भी वह क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं।
मृदुभाषी एवं शांत स्वभाव के लिए जानी जाती है सविता महतो
सविता महतो पति पूर्व विधायक सह पूर्व डिप्टी सीएम रहे स्व. सुधीर महतो के 22 जनवरी 2014 में असामयिक निधन के बाद सविता महतो ने राजनीति जीवन में पदार्पण किया। मृदुभाषी एवं शांत स्वभाव उनकी पहचान रही है। जेएमएम के टिकट पर इचागढ़ से दूसरी बार विधायक बनी।
10वीं पास हैं भाजपा विधायक पुष्पा देवी
छतरपुर विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जाति सुरक्षित सीट) से भाजपा के टिकट पर पहली बार पुष्पा देवी विधायक बनी। पलामू जिले में पहली बार पुष्पा देवी अपने पति पूर्व सांसद व पूर्व विधायक मनोज कुमार की विरासत संभाली। पुष्पा देवी 10वीं पास हैं।
सोशल मीडिया में लोकप्रिय है सीता सोरेन
जामा से झामुमो विधायक सीता सोरेन की। सीता सोरेन भी जनता के मुद्दे उठाने में कभी पीछे नहीं रहीं और इसी का नतीजा है कि सोशल मीडिया में उनकी लोकप्रियता बढ़ती चली जा रही है।