रांची: झारखंड में मिड-डे मील योजना को लेकर एक बार फिर से विवाद गहरा गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हेमंत सोरेन सरकार पर इस योजना में भारी भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। बीजेपी की झारखंड इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए दावा किया कि साहिबगंज में योजना के तहत बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं, वहीं बाधमारी स्कूल में पिछले पांच महीनों से मिड-डे मील बंद है।
बीजेपी ने अपने पोस्ट में लिखा, “हेमंत सरकार में मिड-डे मील बना घोटाले का मील। एक तरफ साहिबगंज में भारी गड़बड़ी तो वहीं बाधमारी स्कूल में 5 महीने से मिड-डे मील बंद। बच्चों के मुँह का निवाला भी हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। शिक्षा और पोषण – दोनों पर हमला।” पोस्ट में सवाल उठाया गया कि “कब जागेगी यह हेमंत सरकार? झारखंड में बदहाली का कौन जिम्मेदार?”
मिड-डे मील योजना की स्थिति पर सवाल
झारखंड राज्य मिड-डे मील प्राधिकरण की स्थापना 31 मार्च 2014 को हुई थी, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में बच्चों को गर्म भोजन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 480 कैलोरी और 13 ग्राम प्रोटीन, जबकि कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 720 कैलोरी और 20.6 ग्राम प्रोटीन प्रदान करने का लक्ष्य है। वर्तमान में राज्य के 35,773 स्कूलों में 32,95,230 बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि, बीजेपी का आरोप है कि योजना का लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच रहा और भ्रष्टाचार के चलते इसका दुरुपयोग हो रहा है।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब मिड-डे मील योजना पर सवाल उठे हैं। वर्ष 2018-19 में 1,256 स्कूलों में किए गए एक सामाजिक अंकेक्षण में योजना के कार्यान्वयन में कई खामियां पाई गई थीं, जैसे भोजन की गुणवत्ता में कमी, समय पर खाद्यान्न की आपूर्ति न होना और स्कूलों में संसाधनों की कमी। इसके अलावा, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5, 2019-20) के अनुसार, झारखंड में 39.4% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जो इस योजना की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करता है।
हेमंत सरकार पर हमलावर हुई बीजेपी
बीजेपी ने हेमंत सोरेन सरकार को बच्चों के पोषण और शिक्षा के मुद्दे पर विफल बताते हुए तीखा हमला बोला है। पार्टी ने कहा कि यह योजना बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन मौजूदा सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते यह “घोटाले का मील” बन गई है। बीजेपी ने यह भी पूछा कि झारखंड में इस बदहाली का जिम्मेदार कौन है और सरकार कब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधेगी।
पोषण की स्थिति चिंताजनक
झारखंड में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 56.8% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं, हालांकि यह आंकड़ा 2015-16 के 62.6% से कुछ कम है। इसके बावजूद, बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की उच्च दर चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिड-डे मील जैसी योजनाओं का सही कार्यान्वयन इस स्थिति को सुधारने में मददगार हो सकता है, लेकिन इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।
सरकार की ओर से जवाब का इंतजार
इस मामले पर अभी तक हेमंत सोरेन सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, बीजेपी के आरोपों ने राज्य में एक बार फिर से सियासी माहौल गर्म कर दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस की संभावना है।
पिछले विवादों ने भी खींचा ध्यान
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार पहले भी कथित कुप्रबंधन के लिए आलोचनाओं का सामना कर चुकी है। सितंबर 2024 में, उत्पाद सिपाही भर्ती के दौरान शारीरिक परीक्षण में 12 अभ्यर्थियों की मौत ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। उस समय भी बीजेपी ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया था और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की थी।
इस ताजा विवाद ने एक बार फिर से झारखंड में प्रशासनिक व्यवस्था और योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि सरकार इन आरोपों का क्या जवाब देती है और मिड-डे मील योजना को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं।