भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने पद भार संभाल लिया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्हें न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलवाई है। मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो चुका है। CJI गवई देश के दूसरे दलित और पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं, जिनका कार्यकाल 6 महीने का होने वाला है। जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में पदोन्नत हुए थे। उनका कार्यभार 23 नवंबर 2025 को समाप्त कर दिया जाएगा। राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे।

CJI बी.आर. गवई की पढ़ाई और करियर
CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान वे हमेशा से ही मेधावी छात्र रहे। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत की शुरुआत नागपुर उच्च न्यायालय में की और अपने तर्कों की स्पष्टता व कानूनी ज्ञान के कारण जल्द ही वे एक प्रतिष्ठित वकील के रूप में स्थापित हो गए।
CJI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने अपने कानून करियर की शुरुआत संविधान और प्रशासनिक कानून (Constitutional Law & Administrative Law) में विशेषज्ञता के साथ की। वे नागपुर महानगरपालिका, अमरावती महानगरपालिका और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी अधिवक्ता (Standing Counsel) के रूप में नियुक्त किए गए थे। इसके अलावा, उन्होंने सायकॉम (SICOM), डीसीवीएल (DCVL) जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं और निगमों के साथ-साथ विदर्भ क्षेत्र की कई नगरपालिका परिषदों का भी नियमित रूप से प्रतिनिधित्व किया।
उन्हें अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील (Assistant Government Pleader) और अतिरिक्त लोक अभियोजक (Additional Public Prosecutor) के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में, 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील (Government Pleader) और लोक अभियोजक (Public Prosecutor) नियुक्त किया गया.उनकी न्यायिक सेवाओं को देखते हुए 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judge) के रूप में पदोन्नत किया गया।