नई दिल्ली : भारत ने ड्रोन हमलों के बढ़ते खतरे के बीच एक बड़ी तकनीकी कामयाबी हासिल की है। ओडिशा के गोपालपुर स्थित सीवर्ड फायरिंग रेंज में देश में ही विकसित किए गए ‘भार्गवास्त्र’ काउंटर-स्वार्म ड्रोन सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया। यह सिस्टम ड्रोन हमलों से निपटने के लिए एक घातक हथियार के रूप में उभरकर सामने आया है।
यह परीक्षण रक्षा क्षेत्र में कार्यरत निजी कंपनी Solar Defence and Aerospace Ltd. (SDAL) द्वारा किया गया। यह सिस्टम स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल टेक्नोलॉजी से लैस है और ड्रोन झुंड (Swarm) को नष्ट करने में सक्षम है। परीक्षण के दौरान प्रणाली ने 2.5 किलोमीटर की रेंज और 400 मीटर की ऊंचाई तक लक्ष्यों को सटीकता से भेदा।
क्या है भार्गवास्त्र की खासियत?
- 64 माइक्रो-मिसाइलें एक साथ दागने की क्षमता, जिससे बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों का मुकाबला किया जा सके।
- हार्ड-किल टेक्नोलॉजी आधारित यह प्रणाली फायरिंग के दौरान दुश्मन के ड्रोन को भौतिक रूप से नष्ट करती है।
- AI-आधारित लक्ष्य पहचान प्रणाली जो कम दृश्यता में भी सटीक निशाना साधती है।
- मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से लैस, जिससे इसे तेज़ी से सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है।
परीक्षण के दौरान कुल तीन ट्रायल किए गए, जिनमें से दो में एक-एक मिसाइल दागी गई, और तीसरे में दो मिसाइलें एक साथ (‘सल्वो फायर’ मोड में) छोड़ी गईं। सभी परीक्षणों में यह प्रणाली पूरी तरह सफल रही।
रक्षा विशेषज्ञों की राय :
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रणाली भारत को भविष्य के युद्धों में तकनीकी बढ़त दिला सकती है। ड्रोन स्वार्म हमलों की चुनौती के बीच ‘भार्गवास्त्र’ सेना को एक शक्तिशाली काउंटर-मैकेनिज़्म उपलब्ध कराता है।
सरकार की प्रतिक्रिया :
रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि को भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति (Aatmanirbhar Bharat) की दिशा में बड़ी सफलता बताया है। यह परीक्षण भारतीय सेना के लिए स्वदेशी, कम लागत और अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
भार्गवास्त्र’ के सफल परीक्षण से भारत ने यह संदेश दिया है कि वह भविष्य के युद्धों के लिए न केवल तैयार है, बल्कि तकनीकी मोर्चे पर आत्मनिर्भर और आक्रामक रुख भी अपनाने को तैयार है।