पटना (बिहार): बिहार सरकार ने कागज़ पर चल रही संस्थाओं और फर्जी स्वयंसेवी संगठनों (NGOs) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। निबंधन विभाग के ताज़ा आदेश के अनुसार, यदि संस्थाएं तय समय-सीमा में आय-व्यय और अन्य जरूरी दस्तावेज ऑनलाइन जमा नहीं करती हैं, तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।
कौन हैं रडार पर? 37,000 संस्थाएं खतरे में
राज्य में कुल 41,000 निबंधित संस्थाएं हैं, लेकिन इनमें से मात्र 4,000 ने ही अब तक अपनी वार्षिक रिपोर्ट, ऑडिट और FCRA रिपोर्ट विभागीय वेबसाइट पर अपलोड की है।
- बचे हुए करीब 37,000 संस्थाएं अब सीधे खतरे में हैं।
- इन संस्थाओं के बैंक खाते फ्रीज़ हो सकते हैं और उनकी संपत्तियां ज़ब्त की जा सकती हैं।
डिजिटलीकरण के जरिए पारदर्शिता की पहल
पूर्व में मैनुअल प्रक्रिया के चलते फर्जी या निष्क्रिय संस्थाएं बच निकलती थीं। लेकिन अब:
- सभी संस्थाओं को वेबसाइट nibandhan.bihar.gov.in पर जाकर लॉगिन बनाना होगा।
- संस्था के रजिस्ट्रेशन नंबर, मोबाइल नंबर या ईमेल के माध्यम से डिजिटल रिपोर्टिंग करनी होगी।
IG रजनीश कुमार सिंह के अनुसार: “अब कोई भी संस्था बिना सक्रिय गतिविधियों और पारदर्शिता के नहीं चल पाएगी। कागज़ी एनजीओ को समाप्त करने का समय आ गया है।”
क्या है नियम और कार्रवाई की प्रक्रिया?
- हर साल जरूरी दस्तावेज: Annual Report, Form C, Audit Report, FCRA रिपोर्ट
- अपलोड न करने पर:
- रजिस्ट्रेशन कैंसिल
- बैंक अकाउंट पर रोक
- चल-अचल संपत्ति पर डीएम की रिपोर्ट
- संस्था के नाम पर कोई भी कार्य अवैध घोषित