नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बीते सप्ताह एक बड़ी कार्रवाई करते हुए इस्लामिक स्टेट (ISIS) के दो आतंकियों, अब्दुल्ला फयाज शेख उर्फ डायपरवाला और ताल्हा खान, को मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया। दोनों आतंकी इंडोनेशिया से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाए गए थे, जहां से वे पिछले दो सालों से फरार थे। यह गिरफ्तारी 2023 में पुणे में आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के निर्माण और परीक्षण से जुड़े एक मामले में हुई है।
NIA के अनुसार, अब्दुल्ला और ताल्हा ISIS के स्लीपर सेल का हिस्सा थे और भारत में आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे। उनकी योजना देश की शांति और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के साथ-साथ भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की थी, ताकि ISIS के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए भारत में इस्लामिक शासन स्थापित किया जा सके। दोनों आतंकी पुणे के कोंढवा इलाके में एक किराए के मकान में आईईडी बनाने में शामिल थे और एक नियंत्रित विस्फोट भी कर चुके थे।
इंडोनेशिया की मदद से हुई गिरफ्तारी
सूत्रों के मुताबिक, ये दोनों आतंकी महाराष्ट्र से अपनी गतिविधियां चलाने के बाद इंडोनेशिया भाग गए थे, जहां उन्होंने शरण ले रखी थी। हालांकि, भारतीय एजेंसियों की सक्रियता और इंडोनेशिया सरकार के सहयोग से उनकी गिरफ्तारी संभव हो पाई। इंडोनेशिया, जो दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है, ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मिलकर काम करने का अपना वादा निभाया।
यह सहयोग ऐसे समय में आया है, जब पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच कुछ दिनों तक युद्ध जैसे हालात बने रहे। इंडोनेशिया ने न केवल पहलगाम हमले की निंदा की थी, बल्कि इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में भी भारत का पक्ष रखा था।
भारत-इंडोनेशिया के मजबूत रिश्तों का नतीजा
भारत और इंडोनेशिया के बीच पुराने और गहरे रिश्ते रहे हैं। सांस्कृतिक तौर पर भी इंडोनेशिया खुद को भारतीय संस्कृति से जोड़ता है। इस साल जनवरी में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। उस दौरान उनका पाकिस्तान जाने का भी प्लान था, लेकिन भारत के ऐतराज के बाद उन्होंने अपनी पाकिस्तान यात्रा रद्द कर दी और भारत में ही ज्यादा समय बिताया।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में इंडोनेशिया में तैनात भारतीय राजदूत ने राष्ट्रपति सुबियांतो से मुलाकात की थी, जिसमें आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा हुई। सुबियांतो ने साफ कहा था कि इंडोनेशिया का इस्लाम आतंकवाद को नहीं सिखाता। इस मुलाकात में स्लीपर सेल से जुड़े इन दोनों आतंकियों का मुद्दा भी उठा, जिसके बाद उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हुई।
NIA की जांच और अन्य गिरफ्तारियां
NIA ने इस मामले में पहले ही 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें अब्दुल्ला और ताल्हा के साथ-साथ मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी, अब्दुल कादिर पठान, सिमाब नासिरुद्दीन काजी, जुल्फिकार अली बरोदावाला, शमील नाचन, अकिफ नाचन और शाहनवाज आलम शामिल हैं। इनमें से आठ अन्य आरोपी पहले ही गिरफ्तार होकर न्यायिक हिरासत में हैं।
NIA ने इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की है। एजेंसी का कहना है कि वह ISIS की भारत में गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है और इसके आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
पहलगाम हमले के बाद भारत ने अपनी कूटनीतिक कोशिशें तेज कर दी थीं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई देशों के समकक्ष नेताओं से बात की, जिसमें दक्षिण कोरिया, कुवैत, सऊदी अरब और डेनमार्क जैसे देश शामिल थे। अमेरिका ने भी भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की अपील की।
इस गिरफ्तारी को भारत की कूटनीति और खुफिया एजेंसियों की बड़ी सफलता माना जा रहा है। यह घटना एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की जरूरत को रेखांकित करती है।