कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए युसूफ पठान का नाम (सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से) वापस करवाया, जिससे उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ कुछ बोलने से बचना पड़े और उनका वोट बैंक भी बरकरार रहे।
अधिकारी ने कहा, “देश की सभी पार्टियां (साझेदार देशों के दौरे पर) जा रही हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने साबित कर दिया है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोलने वाली है। ममता बनर्जी ने इससे स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उनकी प्राथमिकता वोट बैंक की राजनीति है, न कि राष्ट्रीय हित।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए कई देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजने की घोषणा की है। इन प्रतिनिधिमंडलों में युसूफ पठान, जो टीएमसी के बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, को भी शामिल किया गया था। हालांकि, टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पठान या किसी अन्य पार्टी के सांसद को इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा नहीं बनाएगी।
सुवेंदु अधिकारी के बयान से पश्चिम बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है। इससे पहले भी दोनों पार्टियों के बीच रामनवमी जैसे त्योहारों के आयोजन और कानून-व्यवस्था को लेकर तीखी बयानबाजी देखी गई है। अधिकारी ने ममता बनर्जी पर राज्य में हिंसा और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है, जबकि टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए एकता और समावेशी शासन की बात कही है।
इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या राजनीतिक दलों की प्राथमिकताएं राष्ट्रीय हितों से ऊपर हैं, या फिर वे वोट बैंक की राजनीति को तरजीह दे रही हैं।