दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को पूसा भवन में किसानों के साथ एक बैठक के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और 1960 के सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नेहरू ने “किसानों का पेट काटकर” पाकिस्तान को 80% पानी दे दिया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस “ऐतिहासिक अन्याय” को खत्म कर दिया।
चौहान ने कहा, “सिंधु जल समझौता रद्द करना एक ऐतिहासिक फैसला है। नेहरू जी ने 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया और इसके साथ 83 करोड़ रुपये भी दिए, जिनकी आज की कीमत 5,500 करोड़ रुपये है। हम अपने किसानों का हक छीनकर उनको पानी दे रहे थे, जो आतंकियों को पनाह देते हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के जल विशेषज्ञों ने उस समय इस समझौते का विरोध किया था, लेकिन नेहरू ने दखल देकर इसे लागू करवाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी 1960 में संसद में इस समझौते का विरोध किया था।
कृषि मंत्री ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि इस समझौते को रद्द करके उन्होंने देश और किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कहा, “पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के किसानों को अब अपने हक का पानी मिलेगा, जिससे उनकी सिंचाई और विकास की जरूरतें पूरी होंगी।”
चौहान ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा और कहा, “पाकिस्तान सोच रहा था कि तुर्क और चीन के ड्रोन व मिसाइलों से भारत को डरा लेगा, लेकिन हमारी सेना ने उनके हथियारों को खिलौनों की तरह मार गिराया। तीन दिन में पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। हमें अपनी सेना पर गर्व है।”
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार अब इस पानी का उपयोग भारत के किसानों के हित में करने के लिए योजनाएं बनाएगी। “मेरे लिए किसानों की सेवा भगवान की पूजा है। मैं आपका सेवक हूं और यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे यह अवसर मिला,” उन्होंने कहा।
बता दें भारत ने अप्रैल 2025 में सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। यह कदम जम्मू-कश्मीर में एक आतंकी हमले के बाद उठाया गया, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों का पानी बंटवारा होता था, जिसमें पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का 80% पानी मिलता था। समझौते को रद्द करने से पाकिस्तान में पानी की कमी और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि वहां की 80% खेती इस नदी तंत्र पर निर्भर है।
इस बीच, पीएम मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण में कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते,” जिससे भारत की कठोर नीति का संकेत मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच जल संसाधनों को लेकर तनाव को और गहरा सकता है।