रांची: झारखंड के वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक कथित शराब घोटाले के सिलसिले में ACB ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेन्द्र सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कार्रवाई ACB द्वारा पूछताछ के बाद की गई है।
आपको बता दें कि 1999 बैच के IAS अधिकारी चौबे झारखंड के आबकारी सचिव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव रह चुके हैं। उनसे रांची में ACB मुख्यालय में पूछताछ की गई और उसके बाद गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई झारखंड और छत्तीसगढ़ से जुड़े एक बड़े शराब घोटाले की जांच के तहत की गई है।
क्या है मामला?
ACB के अनुसार, यह घोटाला 2022 की झारखंड आबकारी नीति में हेरफेर से जुड़ा है, जिसके कारण राज्य को भारी राजस्व नुकसान हुआ। आरोप है कि चौबे और आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह ने एक संगठित गिरोह के साथ मिलकर नीति में बदलाव किए, जिससे नकली होलोग्राम और अवैध शराब बिक्री को बढ़ावा मिला। यह गिरोह छत्तीसगढ़ में भी सक्रिय था, जिसमें रिटायर्ड IAS अनिल तूतेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर जैसे लोग शामिल हैं। छत्तीसगढ़ ACB और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 7 सितंबर 2024 को इस मामले में FIR दर्ज की थी, जिसके आधार पर झारखंड ACB ने भी प्रारंभिक जांच (PE) के बाद FIR दर्ज की।
मंगलवार सुबह 11 बजे चौबे को उनके रांची स्थित आवास से हिरासत में लिया गया। सूत्रों के अनुसार, ACB उनकी भूमिका और घोटाले में शामिल अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए गहन पूछताछ की।
मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत जांच कर रहा है। अक्टूबर 2024 में ED ने चौबे और अन्य आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। चौबे ने पहले छत्तीसगढ़ ED के सामने पूछताछ में दावा किया था कि आबकारी नीति राज्य सरकार की मंजूरी से लागू की गई थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी।
बताते चलें कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और ACB व ED दोनों इस घोटाले के पूरे नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह मामला झारखंड और छत्तीसगढ़ की सियासत में भी हलचल मचा सकता है, क्योंकि इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं।