नई दिल्ली: भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठा है। देश अब रक्षा उपकरणों के निर्यात में तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी अब भारत से रक्षा उपकरण खरीदने वाले देशों की सूची में शामिल हो गए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर ने बढ़ाई भारतीय मिसाइलों की मांग
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य ताकत ने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा है, जिसके बाद भारतीय मिसाइलों और रक्षा उपकरणों की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। भारत अब ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, आकाश वायु रक्षा प्रणाली, पिनाका रॉकेट्स, डोर्नियर-228 विमान, एलसीए तेजस, एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर, तोपखाने जैसे धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, और बख्तरबंद वाहनों का निर्यात कर रहा है। इसके अलावा, भारतीय रडार, गोला-बारूद, और छोटे हथियार जैसे राइफल, बुलेटप्रूफ जैकेट और सैन्य बूट भी वैश्विक बाजार में लोकप्रिय हो रहे हैं।
रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.04% की वृद्धि दर्शाता है। यह आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2013-14 की तुलना में 34 गुना अधिक है। रक्षा मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है कि 2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
नए खरीदार देशों का महत्व
कतर और इराक जैसे खाड़ी देशों का भारत से रक्षा उपकरण खरीदना क्षेत्रीय तनावों के बीच उनकी आपूर्ति में विविधता लाने की रणनीति को दर्शाता है। वहीं, जापान का इस सूची में शामिल होना खासा महत्वपूर्ण है। जापान, जो ऐतिहासिक रूप से शांतिवादी नीति और सख्त हथियार आयात नियमों के लिए जाना जाता है, अब क्षेत्रीय खतरों, खासकर चीन और उत्तर कोरिया से निपटने के लिए अपनी रक्षा नीति में बदलाव कर रहा है। जापान की ओर से भारतीय रक्षा उपकरणों, खासकर बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरणों की खरीद, दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का संकेत है।
वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति
भारत पहले दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था, लेकिन अब स्वदेशी हथियार निर्माण पर जोर देकर सरकार ने इसे निर्यातक देश में बदल दिया है। भारत ने 53 से अधिक देशों के साथ रक्षा सहयोग समझौते किए हैं, जिससे नए बाजार खुल रहे हैं। भारतीय रक्षा उत्पाद अपनी प्रतिस्पर्धी कीमतों और उच्च गुणवत्ता के लिए जाने जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली अन्य देशों की समान प्रणालियों की तुलना में काफी सस्ती है, जिसके कारण यह आर्मेनिया जैसे देशों के लिए आकर्षक बन गई है।
ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की मांग भी वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। 2022 में फिलीपींस ने 375 मिलियन डॉलर का ब्रह्मोस मिसाइल सौदा किया था। इसके अलावा, वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देश भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। हाल ही में वियतनाम के साथ 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने की संभावना जताई गई है, जिससे वह इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने वाला दूसरा देश बन सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए रक्षा बजट में 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.3% अधिक है। सरकार का लक्ष्य 2024-25 तक रक्षा निर्यात को 36,500 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। इसके लिए स्वदेशी हथियार निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
भारत में नौसैनिक जहाजों का निर्माण और सस्ती गश्ती नौकाओं की आपूर्ति मित्र देशों को करना एक बड़ी उपलब्धि रही है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने हल्के हेलिकॉप्टरों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां अब वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में आ रही हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि भारत की रक्षा नीति और निर्यात रणनीति अगले दशक में और मजबूत होगी। क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच, भारत रक्षा उपकरणों का एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बनकर उभर रहा है। जापान जैसे देशों के साथ सहयोग न केवल भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान देगा।