नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में यमुना नदी की सफाई, पेयजल आपूर्ति और सीवेज प्रबंधन पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस बैठक में समग्र दृष्टिकोण अपनाने और इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के निर्देश दिए गए।
बैठक के दौरान, गृह मंत्री ने यमुना नदी की गंभीर प्रदूषण समस्या पर चिंता व्यक्त की, जो दिल्ली के लिए एक प्रमुख पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। हाल ही में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा जारी डेटा के अनुसार, यमुना में फैकल स्तर 1,500,000 यूनिट तक पहुंच गया है, जो मानक 500 यूनिट से कहीं अधिक है। इसने नदी की सफाई अभियान की तात्कालिकता और जटिलता को रेखांकित किया है।
इस पहल का संदर्भ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा 2023 में दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति के गठन से भी जुड़ता है, जिसका उद्देश्य नदी में प्रदूषण को नियंत्रित करना था। इसके अलावा, यमुना प्रबंधन पर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और केंद्रीय अधिकारियों के बीच पूर्व में राजनीतिक तनाव भी रहा है, जो इस लंबे समय से चली आ रही पर्यावरणीय चुनौती से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बैठक में तकनीकी और प्रशासनिक उपायों पर चर्चा की गई, जिसमें नदी के प्रदूषण को कम करने और पेयजल की गुणवत्ता में सुधार के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, सीवेज प्रबंधन को और अधिक कुशल बनाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर दिया गया।
यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दिशा-निर्देश के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने यमुना की सफाई को जन भागीदारी आंदोलन बनाने और ब्रज क्षेत्र में सांस्कृतिक महत्व के स्थानों पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी। इस पहल से उम्मीद है कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में यमुना नदी की स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिति में सुधार होगा, जो लाखों लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
इस बैठक से यह स्पष्ट है कि यमुना नदी की सफाई और पेयजल एवं सीवेज प्रबंधन के मुद्दों को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं, ताकि इस महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती से निपटा जा सके।