नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में आयोजित ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025’ को संबोधित किया। इस समिट का उद्देश्य भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में निवेश और व्यापार के अवसरों को प्रदर्शित करना है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की विविधता को इसकी सबसे बड़ी ताकत बताया और इसे ‘अष्टलक्ष्मी’ के रूप में संदर्भित किया, जो समृद्धि और विकास का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत को दुनिया का सबसे विविध देश कहा जाता है और हमारा नॉर्थ ईस्ट इस विविध राष्ट्र का सबसे विविध हिस्सा है। नॉर्थ ईस्ट की विविधता इसकी बहुत बड़ी ताकत है… इसलिए नॉर्थ ईस्ट हमारे लिए अष्टलक्ष्मी है। अष्टलक्ष्मी के इस आशीर्वाद से नॉर्थ ईस्ट का हर राज्य कह रहा है, हम निवेश के लिए तैयार हैं, हम नेतृत्व के लिए तैयार हैं।”
इस समिट का आयोजन केंद्रीय विकास ऑफ नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (DoNER) मंत्रालय द्वारा किया गया है, जो क्षेत्र में आर्थिक विकास और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। समिट के दौरान, उत्तर-पूर्वी राज्यों की प्राकृतिक संपदा, जैसे तेल, गैस, कोयला और अन्य खनिज संसाधनों को निवेशकों के समक्ष रखा गया, जो क्षेत्र को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाते हैं।
समिट का फोकस विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विकास की स्पष्ट दृष्टि विकसित करना है, साथ ही आसियान और बीबीएन (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल) देशों के लिए उत्तर-पूर्व को एक हब के रूप में स्थापित करना है। यह पहल भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के अनुरूप है, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देती है।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, जो वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में केवल 2.8% का योगदान देता है, को इस समिट के माध्यम से आर्थिक विकास के नए अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। समिट के दौरान, निवेशकों को क्षेत्र की 60 करोड़ से अधिक की उपभोक्ता आबादी और बढ़ते शहरीकरण के लाभों के बारे में जानकारी दी गई, जो व्यवसायों के लिए विशाल अवसर प्रस्तुत करता है।
इस समिट से पहले, रोडशो और राउंडटेबल चर्चाओं का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। समिट में भाग लेने वाले निवेशकों और उद्यमियों को उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ साझेदारी और सहयोग स्थापित करने के अवसर मिलेंगे, जो क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि वे इस क्षेत्र के विकास में भागीदार बनें और इसके समृद्ध भविष्य में योगदान दें।
समिट का समापन 24 मई 2025 को होगा, जहां विभिन्न समझौतों और निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जो उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।