मास्को, रूस : भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। डीएमके सांसद कानिमोझी की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा के अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के अध्यक्ष लियोनिड स्लुटस्की और अन्य सदस्यों से मुलाकात की। यह बैठक मास्को में हुई और इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
इस मुलाकात के दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग पर चर्चा की। भारत और रूस के बीच 2021-2031 के लिए सैन्य तकनीकी सहयोग पर हस्ताक्षरित समझौते के तहत, रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच हथियार प्रणालियों के अनुसंधान, विकास, उत्पादन और बिक्री के बाद के समर्थन को बढ़ाना है।
कानिमोझी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, रूस भारत का एक रणनीतिक साझेदार रहा है और दोनों देश हमेशा कूटनीतिक मुद्दों और व्यापार पर एक साथ काम करते आए हैं।” इस बैठक को भारत की ओर से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत सात प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों का दौरा कर रहे हैं।
लियोनिड स्लुटस्की, जो रूस की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष भी हैं, ने इस बैठक को दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। स्टेट ड्यूमा, रूसी संसद का निचला सदन, विधायी और अंतरराष्ट्रीय मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इस बैठक से भारत-रूस के बीच सहयोग को नई गति मिलने की उम्मीद है।
हाल के वर्षों में, भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग में काफी वृद्धि हुई है, जिसमें टी-90 टैंकों और सु-30एमकेआई विमानों का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29के विमानों और कामोव-31 की आपूर्ति, और मिग-29 विमानों के उन्नयन जैसे द्विपक्षीय परियोजनाएं शामिल हैं।
इस बीच, भारत और रूस के बीच संबंध वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं, जहां भारत पश्चिमी गठबंधनों और रूस जैसे पारंपरिक साझेदारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। विशेष रूप से, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच, यह बैठक दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को दर्शाती है।
यह बैठक न केवल रक्षा और सैन्य सहयोग को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि आर्थिक और तकनीकी सहयोग को भी बढ़ावा देने का एक मंच है। दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जहां नवाचार और संयुक्त परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इस उच्च स्तरीय बैठक से दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने की उम्मीद है, और यह भारत की वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।