एक महीने की लंबी बेचैनी और अनिश्चितता के बाद BSF जवान पूर्णम कुमार साव शुक्रवार, 23 मई 2025 को जब अपने पश्चिम बंगाल के हुगली स्थित गांव लौटे, तो पूरा इलाका ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारों से गूंज उठा। ये सिर्फ एक जवान की वापसी नहीं थी, बल्कि पूरे देश की भावनाओं की जीत थी।
घर लौटते ही मिला हीरो जैसा स्वागत
पूर्णम साव जब खुले जीप में अपने गांव पहुंचे, तो हजारों लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। महिलाओं ने आरती उतारी, बच्चों ने फूल बरसाए और युवाओं ने ‘वीर जवान अमर रहे’ के नारे लगाए। ये दृश्य भावनाओं और देशभक्ति से सराबोर था। पूर्णम साव ने कहा कि मां-पापा बहुत परेशान थे, इसलिए सबसे पहले उनसे मिलने आया। देशवासियों के प्यार के लिए आभारी हूं।
ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी, ड्यूटी पर लौटने की इच्छा व्यक्त की
जब उनसे ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े सवाल पूछे गए, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार किया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि देश की सेवा के लिए जल्द ही फिर से ड्यूटी पर लौटूंगा।
पूर्णम साव 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में गश्त के दौरान गलती से सीमा पार कर गए थे। अगले ही दिन पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया। यह घटना ऐसे समय में हुई जब पहलगाम आतंकी हमले ने भारत-पाक रिश्तों को तनावपूर्ण बना रखा था।
भारत सरकार ने राजनयिक चैनलों के ज़रिए दबाव बनाया, और 14 मई को अटारी-वाघा बॉर्डर पर उन्हें वापस भारत लाया गया। इस रिहाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हिस्सा माना जा रहा है, जो भारतीय खुफिया और सैन्य एजेंसियों का समन्वित प्रयास था।