बिहार चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव (RJD Supremo Lalu Prasad Yadav) की मुश्किलें बढ़ने वाली है। ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर शुक्रवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सुनवाई के बाद चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया, जो अब 3 जून को सुनाया जाएगा।
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष जैन ने कोर्ट को जानकारी दी कि एजेंसी को इस मामले में राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्राप्त हो चुकी है। राष्ट्रपति ने यह मंजूरी 8 मई को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 197(1), जो अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के अंतर्गत आती है, के तहत दी थी।
सीएम नीतीश कुमार आज जा रहे दिल्ली.. मोदी से मिलकर करेंगे यह मांग
कोर्ट को पहले ही गृह मंत्रालय की ओर से अभियोजन की अनुमति मिल चुकी है। ईडी ने अगस्त 2023 में दाखिल अपनी पहली चार्जशीट में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती, व एक अन्य बेटी हेमा यादव को आरोपी बनाया था। इसके साथ ही दो कंपनियां — ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड — भी आरोपितों की सूची में शामिल हैं।
जनवरी 2024 में ईडी ने एक और आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें लालू परिवार के करीबी माने जाने वाले अमित कत्याल को भी आरोपी बनाया गया। ईडी का आरोप है कि जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे, उस दौरान रेलवे में नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से उनकी जमीनें ली गईं। बाद में ये संपत्तियाँ लालू यादव के परिवार के सदस्यों या उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम कर दी गईं।
चुनाव से पहले जख्मों पर मरहम लगाने निकले हैं तेजस्वी यादव
अब नजरें 3 जून पर टिकी हैं, जब अदालत यह निर्णय सुनाएगी कि क्या सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेकर मामले में औपचारिक रूप से ट्रायल शुरू किया जाए। यह फैसला न केवल लालू यादव और उनके परिवार के लिए अहम होगा, बल्कि देश की सियासी गलियारों में भी इसकी व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।