कुवैत: भारत की सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कुवैत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी बात रखी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “हम पाकिस्तान के आतंकवाद को कुचल देंगे और इसे खत्म कर देंगे।” यह बयान उस समय आया है जब भारत, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए मुस्लिम बहुल देशों में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीजेपी सांसद बैजयंत जय पांडा कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में निशिकांत दुबे के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल बहरीन, सऊदी अरब, कुवैत और अल्जीरिया जैसे देशों का दौरा कर रहा है ताकि पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों को उजागर किया जा सके और भारत के खिलाफ उसकी साजिशों के प्रति वैश्विक समर्थन हासिल किया जा सके।
पिछले महीने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। इस हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा के मरकज तैबा जैसे आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया, जहां 2008 के मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब को प्रशिक्षित किया गया था। इस कार्रवाई को भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अंजाम दिया।
निशिकांत दुबे ने कुवैत में कहा कि भारत इस मुद्दे पर वैश्विक समुदाय को एकजुट करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद एक विशेष प्रकार का है, जिसका हमें सामना करना पड़ता है। हमारी कोशिश है कि दुनिया के सामने इस सच्चाई को लाया जाए।” प्रतिनिधिमंडल के नेता बैजयंत पांडा ने भी इस दौरान भारतीय डायस्पोरा को संबोधित करते हुए कहा, “हमारी कोशिश है कि भारतीय समुदाय के जरिए भी इस संदेश को आगे बढ़ाया जाए। भारतीय डायस्पोरा हमारी सॉफ्ट पावर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जो 1971 के बाद पहली बार हुआ। इस कार्रवाई को भारत ने 26/11 मुंबई हमले, पठानकोट हमले, उरी हमले और हालिया पहलगाम हमले जैसे आतंकी घटनाओं का जवाब बताया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के दूतों को भी इस कार्रवाई की जानकारी दी और पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने की भूमिका को उजागर किया।
निशिकांत दुबे पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना पर वक्फ अधिनियम से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी टिप्पणियों को “अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना” करार देते हुए इसे न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया था। इसके अलावा, दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी 1968 में रण ऑफ कच्छ का हिस्सा पाकिस्तान को देने का आरोप लगाया था।
यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय एकजुटता और दृढ़ता को प्रदर्शित करने के लिए सभी दलों को एक मंच पर लाया गया है। इस दौरे के जरिए भारत न केवल पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहता है, बल्कि मध्य पूर्व के देशों में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है। पांडा ने कहा, “प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि हम केवल दो मुद्दों पर बात करेंगे, क्योंकि पाकिस्तान ने हमारी जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है।”
यह दौरा भारत की कूटनीतिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके तहत वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने और पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।