पब्लिक अवेयनेस फॉर हेथफुल एप्रोच फॉर लिविंग (पहल) के चिकित्सा निदेशक एवं वरिष्ठ फिजिशियन डा. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि यह चिंताजनक तथ्य सामने आ रहा है कि युवाओं में सुई (Injecting Drug Use – IDU) के माध्यम से नशा करने की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे उनमें एच.आई.वीए हेपाटाइटिस-बी और हेपाटाइटिस-सी जैसे गंभीर संक्रमण फैल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंजेक्टेबल ड्रग्स लेने वाले 10 में से 6 युवा संक्रमित सुई साझा करते हैं, युवाओं में एच.आई.वी के नए मामलों में बहुत मामले IDU के माध्यम से होते हैं, हेपेटाईटीस-सी का प्रसार इस समूह में 40 प्रतिषत तक पाया गया है।

डा0 तेजस्वी ने इसके मुख्य कारण एवं रोकथाम के बारे में बताया कि कुप्रचार और नशे के प्रति जिज्ञासा, समूह में सुई साझा करना, काउंसलिंग और नशामुक्ति सेवाओं तक सीमित पहुंच, सामाजिक कलंक और डर के कारण जांच से परहेज़। डा0 तेजस्वी ने बताया कि इसके रोकथाम हेतु Opiate Substitution Therapy (OST): जैसे- बुप्रेनोर्फीन आधारित दवाओं द्वारा इंजेक्टेबल नशे की आदत से छुटकारा दिलाना, HIV, HBV और HCV की नियमित जांच व हेपाटाइटिस-बी टीकाकरण (Hep-B वैक्सीन) युवाओं को नियमित स्क्रीनिंग और उचित परामर्श से जोड़ना, मनोचिकित्सक परामर्श और नशामुक्ति केंद्रों का विस्तार, स्कूलों, कॉलेजों और समुदाय स्तर पर परामर्श सुविधाएँ शुरू करना, सामुदायिक जागरूकता अभियान युवाओं को peer support groups, NGOs और हेल्थ वर्कर्स की मदद से जोड़ना, एच.आई.वी व हेपाटाइटिस का इलाज सुदूर इलाकों में उपलब्ध कराना है।
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डा0 तेजस्वी ने बताया कि हम सभी नागरिकों, अभिभावकों, शिक्षकों और जनप्रतिनिधियों से अपील करते हैं कि वे युवाओं को इस खतरनाक प्रवृत्ति से बचाएँ, किसी भी संदिग्ध स्थिति में तुरंत जांच परामर्श और इलाज के लिए नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें।