मऊ : उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से सुभासपा के विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में मऊ की सीजेएम कोर्ट ने शनिवार को 2 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सुबह अब्बास को इस मामले में दोषी करार दिया था, जिसके बाद कुछ घंटों में सजा का ऐलान कर दिया गया। इस फैसले के बाद अब उनकी विधायकी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि भारत के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत 2 साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो सकती है।
यह मामला 2022 के विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। मऊ के पहाड़पुरा मैदान में एक चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, “सरकार बनने पर यहां के किसी अधिकारी का तबादला नहीं होगा, सबका यहीं हिसाब-किताब किया जाएगा।” इस बयान के बाद सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की शिकायत पर मऊ कोतवाली में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। अब्बास पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 171एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव), धारा 186, 189, और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उनके इलेक्शन एजेंट मंसूर अंसारी को भी इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया गया था।
मऊ के सीजेएम डॉ. केपी सिंह की कोर्ट ने अब्बास अंसारी को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। धारा 153ए के तहत 2 साल की सजा और 3,000 रुपये का जुर्माना, धारा 189 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाने की धमकी) के तहत 2 साल की सजा और 3,000 रुपये का जुर्माना, धारा 506 के तहत 1 साल की सजा और 2,000 रुपये का जुर्माना, धारा 171एफ के तहत 6 महीने की सजा और 2,000 रुपये का जुर्माना, और धारा 120बी के तहत 6 महीने की सजा और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। वहीं, मंसूर अंसारी को धारा 120बी के तहत 6 महीने की सजा और 1,000 रुपये का जुर्माना हुआ।
फैसले के दिन मऊ कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। कोर्ट को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था ताकि किसी भी तरह की अशांति को रोका जा सके। सजा का ऐलान होने के दौरान अब्बास अंसारी कोर्ट में मौजूद थे, और फैसला सुनते ही उनके चेहरे पर मायूसी छा गई।
भारत के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। अब्बास अंसारी की सजा 2 साल की होने के कारण उनकी विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उनके वकीलों ने इस फैसले को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है, जिसके बाद उनकी विधायकी का भविष्य तय होगा।
अब्बास अंसारी के पिता मुख्तार अंसारी एक कुख्यात गैंगस्टर और राजनेता थे, जिनका उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबा इतिहास रहा है। मुख्तार अंसारी मऊ से पांच बार विधायक रह चुके थे और कई आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए थे। उनकी मृत्यु 28 मार्च 2024 को हो गई थी। अब्बास अंसारी ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन अब यह सजा उनके करियर पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
अब्बास अंसारी के वकील जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिलती है, तो उनकी विधायकी बच सकती है। लेकिन अगर सजा बरकरार रहती है, तो मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की संभावना बन सकती है। इस मामले पर सियासी हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है।