नई दिल्ली : चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर लगाए गए अचानक निर्यात प्रतिबंधों ने भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में हड़कंप मचा दिया था। इस प्रतिबंध के कारण देश में कार उत्पादन कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठप होने की कगार पर पहुंच गया था। ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटरों के साथ-साथ पावर विंडोज और ऑडियो सिस्टम जैसे सामान्य कार पार्ट्स के लिए भी जरूरी हैं। हालांकि, भारत सरकार के हस्तक्षेप और चीन को आश्वासन देने के बाद अब आयात फिर से शुरू हो गया है, जिससे ऑटो इंडस्ट्री ने राहत की सांस ली है।
चीन ने अप्रैल 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए थे। इस प्रतिबंध के तहत कंपनियों को चीनी अधिकारियों से आयात परमिट लेना अनिवार्य कर दिया गया। चीन वैश्विक स्तर पर इन मैग्नेट्स की प्रोसेसिंग का 90% से अधिक हिस्सा नियंत्रित करता है, जिसके चलते भारत जैसे देशों पर इसका सीधा असर पड़ा। भारत में ऑटो पार्ट्स निर्माताओं के पास इन मैग्नेट्स का स्टॉक मई 2025 के अंत तक खत्म होने की आशंका थी, जिससे उत्पादन रुकने का खतरा मंडरा रहा था।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने इस संकट को देखते हुए सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की थी। SIAM ने चेतावनी दी थी कि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार में बड़ा संकट आ सकता है। उद्योग समूहों ने बताया कि भले ही इन मैग्नेट्स की लागत गाड़ियों में कम हो, लेकिन एक भी कंपोनेंट की कमी से पूरा उत्पादन ठप हो सकता है।
भारत ने इस संकट से निपटने के लिए तेजी से कदम उठाए। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने लगभग 30 खेपों के लिए सर्टिफिकेट जारी किए, जिसमें आश्वासन दिया गया कि इन मैग्नेट्स का उपयोग रक्षा क्षेत्र में नहीं होगा और न ही इन्हें अमेरिका जैसे देशों को निर्यात किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद चीन ने स्थायी मैग्नेट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का निर्यात फिर से शुरू कर दिया।
चीन ने इन प्रतिबंधों को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए जरूरी बताया था। चीनी दूतावास ने कहा कि वे वैध व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत और चीन के बीच हाल के तनावों, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान (चीन का करीबी सहयोगी) की हार से भी प्रेरित हो सकता है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर रेयर अर्थ मैग्नेट्स चीन से आयात करता है। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने 460 टन मैग्नेट्स आयात किए थे और इस साल 700 टन आयात की उम्मीद है, जिसकी कीमत लगभग 30 मिलियन डॉलर है।
हालांकि आयात शुरू होने से तात्कालिक संकट टल गया है, लेकिन यह घटना भारत की ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा सबक है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।
इस घटना ने एक बार फिर वैश्विक सप्लाई चेन में चीन की दबदबे को उजागर किया है और भारत जैसे देशों को अपनी निर्भरता कम करने की दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है।