पटना : मुजफ्फरपुर से रेफर की गई दुष्कर्म पीड़िता बच्ची की मौत को लेकर PMCH प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस संवेदनशील मामले में जांच की मांग भी उठ रही है, वहीं प्रशासन की ओर से बार-बार यह स्पष्ट किया जा रहा है कि बच्ची की जान बचाने की हर संभव कोशिश की गई थी। अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. अभिजीत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि बच्ची के इलाज में पूरी गंभीरता बरती गई थी और कोई लापरवाही नहीं हुई।
डॉ. अभिजीत ने बताया कि जैसे ही बच्ची एंबुलेंस से पीएमसीएच पहुंची, तुरंत उसका रजिस्ट्रेशन कर इलाज शुरू किया गया। बच्ची दोपहर 1:23 बजे अस्पताल पहुंची और उसी समय रजिस्ट्रेशन कराया गया। अस्पताल की ENT टीम ने तुरंत एंबुलेंस में ही बच्ची का प्रारंभिक परीक्षण किया, क्योंकि उसे गले की गंभीर चोट के साथ-साथ अन्य समस्याएं भी थीं।
बाद में बच्ची को गायनी ICU में भर्ती किया गया, जहां सभी विभागों के डॉक्टर बारी-बारी से इलाज में जुटे रहे। डॉ. अभिजीत ने कहा कि रात भर डॉक्टर इलाज करते रहे और बच्ची को गंभीर स्थिति देखते हुए भर्ती होने के करीब 5 घंटे बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी दिया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बच्ची पहले मुजफ्फरपुर के SKMCH में 26 से 31 मई तक भर्ती थी और वहीं उसका प्राथमिक इलाज हुआ। उस दौरान वह पिक्कू वार्ड में थी और ENT संबंधित समस्याओं का इलाज भी किया गया, लेकिन SKMCH के ENT विभाग में ICU की व्यवस्था नहीं है।
अधीक्षक इंद्रशेखर ठाकुर ने भी प्रेस से बातचीत में सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि बच्ची की हालत पहले से ही गंभीर थी। गले का हिस्सा काफी कटा हुआ था और इलाज के हर जरूरी कदम तुरंत उठाए गए थे। राजापाकर विधायक प्रतिमा दास द्वारा मामले की जानकारी देने के बाद ही पीएमसीएच को पूरी गंभीरता से सूचित किया गया और व्यवस्था की गई। दोनों अधिकारियों ने कहा कि बच्ची के इलाज में कोई भी ढिलाई नहीं बरती गई और अस्पताल प्रशासन पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं।