सिंगताम (सिक्किम) : सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने आज तीस्ता नदी पर बने इंद्राणी पुल का निरीक्षण किया, जहां क्षेत्र में जल स्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ का खतरा बना हुआ है। राज्यपाल का यह दौरा उस समय महत्वपूर्ण हो जाता है, जब 2023 में हुए भयावह बाढ़ ने इस क्षेत्र की बुनियादी ढांचे को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, जिसमें इस पुल का विनाश भी शामिल था।
इंद्राणी पुल, जो originally एक सस्पेंशन ब्रिज था, 2023 की बाढ़ में तबाह हो गया था, जो साउथ ल्होनेक झील से ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) के कारण हुआ था। इस घटना ने न केवल इस पुल को नुकसान पहुंचाया, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में व्यापक तबाही मचाई, जिसमें तीस्ता तीसरी बांध का विनाश भी शामिल है। इस बाढ़ ने सिक्किम और पश्चिम बंगाल में हजारों लोगों की जान और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।
वर्तमान में, इंद्राणी पुल का पुनर्निर्माण जनवरी 2024 में पूरा हुआ, जो एक आर्क ब्रिज के रूप में बनाया गया, जिसने पहले सस्पेंशन ब्रिज की जगह ली थी। यह पुनर्निर्माण क्षेत्र की बाढ़ से संबंधित चुनौतियों को दर्शाता है, जहां ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड और तलछट अपरदन जैसे प्राकृतिक आपदाओं से मानव बस्तियों और बुनियादी ढांचे को लगातार खतरा बना रहता है।
राज्यपाल के निरीक्षण के दौरान, तीस्ता नदी के जल स्तर में वृद्धि की रिपोर्टें सामने आईं, जो 2023 की बाढ़ की यादें ताजा कर रही हैं। उस समय, भारी बारिश और निम्न दबाव के सिस्टम के कारण तीस्ता नदी का जल स्तर 15 से 20 फीट तक बढ़ गया था, जिसने मंगन, गंगटोक, पक्यांग और नामची जिलों में व्यापक बाढ़ ला दी थी।
इस घटना ने हिमालय क्षेत्र में बाढ़ प्रबंधन की चुनौतियों को रेखांकित किया है, जहां जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों की गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है। सिक्किम सरकार और केंद्रीय सरकार ने इस आपदा के बाद राहत और पुनर्वास के लिए ₹48 करोड़ की राशि जारी की थी, लेकिन क्षेत्र की लचीलापन और बुनियादी ढांचे की मरम्मत अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर का निरीक्षण इस बात का संकेत है कि क्षेत्र में बाढ़ के खतरे को गंभीरता से लिया जा रहा है, और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारियां की जा सकें।