विशाखापत्तनम : भारतीय नौसेना 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में अपनी पहली पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) ‘अर्नाला’ को कमीशन करने के लिए तैयार है। इस समारोह की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे। कार्यक्रम की मेजबानी वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, ईस्टर्न नेवल कमांड करेंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ नौसेना अधिकारी, विशिष्ट अतिथि, जहाज निर्माता और इसके निर्माण से जुड़े विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
‘अर्नाला’ 16 एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी जहाजों की श्रृंखला का पहला जहाज है, जिसे कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत डिजाइन और निर्मित किया है। यह जहाज भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अर्नाला का ऐतिहासिक महत्व और डिजाइन ‘अर्नाला’ का नाम महाराष्ट्र के वसई से लगभग 13 किमी उत्तर में स्थित अर्नाला द्वीप के नाम पर रखा गया है, जिसे मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासनकाल के दौरान रणनीतिक महत्व दिया था। यह जहाज भारतीय नौसेना के पुराने ‘अभय’ क्लास एएसडब्ल्यू जहाजों को प्रतिस्थापित करने के लिए बनाया गया है। अर्नाला उन्नत वाटर-जेट प्रणोदन और सोनार सिस्टम से लैस है, जिसमें हल-माउंटेड और टोएड लो-फ्रीक्वेंसी वेरिएबल-डेप्थ सोनार शामिल हैं, जो उथले पानी में पनडुब्बी का पता लगाने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक 2013 में 13,440 करोड़ रुपये (2023 में 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की परियोजना के तहत मंजूरी दी गई इस श्रृंखला के जहाजों का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) और जीआरएसई द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है, जिसके तहत 16 जहाजों में से आठ-आठ जहाज दोनों शिपयार्ड अपनी-अपनी डिजाइनों के अनुसार बना रहे हैं। यह जहाज तटीय जल क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों को रोकने और नष्ट करने की क्षमता से लैस है।
अर्नाला का प्रतीक चिन्ह अर्नाला का प्रतीक चिन्ह एक शंख को दर्शाता है, जो भारतीय नौसेना परंपरा में सतर्कता और शक्ति का प्रतीक है। इसका आदर्श वाक्य “आपने सोचम” (संस्कृत में ‘आपकी सोच’) है, जो रणनीतिक रक्षा में इसकी भूमिका को दर्शाता है।
यह कमीशनिंग समारोह न केवल भारतीय नौसेना की तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को भी रेखांकित करेगा।