नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में लगातार तीसरे दिन रूस ने यूक्रेन पर सीरियल अटैक किए, जिससे यूक्रेन में व्यापक तबाही और विध्वंस हुआ है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये हमले यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में लक्षित किए गए, जिससे वहां की बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस की ओर से किए गए ये अटैक विशेष रूप से महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक लक्ष्यों पर केंद्रित थे, जिससे यूक्रेन की रक्षा प्रणाली और आम नागरिकों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस दौरान कई इमारतें ध्वस्त हो गईं, और कई क्षेत्रों में आग लग गई, जिससे स्थानीय लोगों को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
यूक्रेन के अधिकारियों ने इन अटैकों को “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। इस बीच, रूस का दावा है कि ये अटैक “सैन्य लक्ष्यों” पर किए गए हैं और यूक्रेन की ओर से किए गए कथित उकसावे का जवाब हैं।
इस युद्ध ने न केवल यूक्रेन को तबाह किया है, बल्कि पूरे यूरोप को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लाखों यूक्रेन वासियों को अपने घर-बार छोड़कर पलायन करना पड़ा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की सबसे बड़ी शरणार्थी संकट बन गया है।
रूस और यूक्रेन के बीच यह संघर्ष 24 फरवरी 2022 से जारी है, और इसके व्यापक प्रभाव अंतरराष्ट्रीय संबंधों, आर्थिक हितों और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़े हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस संघर्ष का समाधान निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा, और इससे वैश्विक शांति और सुरक्षा पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है।
जानकारों का कहना है कि रूस के ये लगातार अटैक यूक्रेन की स्थिति को और भी गंभीर बनाते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है ताकि इस मानवीय संकट को रोका जा सके। इस बीच, यूक्रेन की सरकार और सैन्य बल रूस के इन अटैकों का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीतियों को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन स्थिति अभी भी काफी नाजुक बनी हुई है। दुनिया की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट को कैसे संभालता है।