बिहार के खगड़िया ज़िले में एक बार फिर सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार और लापरवाही का पर्दाफाश हुआ है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर कटावरोधी कार्य के लिए नियुक्त की गई एजेंसियां मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं। सांसद राजेश वर्मा के औचक निरीक्षण में इसका बड़ा खुलासा हुआ है, जहां पाया गया कि ठेकेदार जियो बैग में सूखी बालू की जगह गीली मिट्टी भरकर कार्यस्थल पर डाल रहे थे।
जहां बचाव होना था, वहीं अवैध खनन
निरीक्षण के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि एजेंसी द्वारा कटाव स्थल के पास ही अवैध खनन कर गीली मिट्टी निकाली जा रही थी। इसका उपयोग जियो बैग भरने में किया जा रहा था, जबकि मानक के अनुसार दूसरी जगह से लाई गई सफेद सूखी बालू का प्रयोग आवश्यक है। 150 मीटर की बल्ला पाइलिंग अधूरी पाई गई जबकि कागजों पर इसे पूरा दिखाया गया था। तेलिहार (बेलदौर प्रखंड) में भी ऐसी ही अनियमितताएं मिलीं।
सांसद का तीखा प्रहार, विभागीय अफसरों की भूमिका पर सवाल
सांसद वर्मा ने सीधे तौर पर जल संसाधन विभाग के अभियंताओं और ठेकेदारों के गठजोड़ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। सांसद ने विभाग में वर्षों से एक ही पद पर टिके अधिकारियों पर सवाल उठाए हैं। इसमें JE मणिकांत पटेल पिछले 7 वर्षों से खगड़िया में पदस्थापित हैं। जबकि JE शेखर गुप्ता, जो अब SDO बन चुके हैं, उनका भी तबादला नहीं किया गया और वही जिला फिर से कार्यस्थल बना दिया गया।
इस संबंध में सांसद राजेश वर्मा ने बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी को पत्र लिखकर अवगत कराया है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। राजेश वर्मा ने पत्र में बताया कि खगड़िया क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर बाढ़ से पूर्व कराए जा रहे एंटी-इरोजन कार्यों में घटिया सामग्री और मानकों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि उनके निरीक्षण के दौरान शिवराम मील से लेकर नियंत्रण प्रमंडल-2 तक तथा चौथम, रोहियारा बंगालिया, बेलदौर, तेलिहार, भरवन, इंदिरा गांधी नगर, अलीनगर, करारीसमा और उत्तरी बोरनेहा क्षेत्रों में एंटी-इरोजन कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितता पाई गई है।
पत्र में राजेश वर्मा ने लिखा है कि निर्धारित मानकों की जगह कम गुणवत्ता वाली बालू और अन्य सामग्री का उपयोग हो रहा है और कहीं-कहीं तो कार्य हो ही नहीं रहा है, फिर भी कार्य दिखा कर भुगतान लिया जा रहा है। पाइपलाइनों की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं है और कार्यस्थलों पर मापक यंत्र भी मौजूद नहीं हैं।
राजेश वर्मा ने आरोप लगाया कि संबंधित संवेदक, कार्यपालक अभियंता एवं अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है। उन्होंने जल संसाधन मंत्री से मांग की है कि ऐसे दोषी संवेदकों और अधिकारियों पर तत्काल रोक लगाई जाए तथा सख्त कार्रवाई की जाए।