नई दिल्ली : इजरायल और ईरान के बीच जारी सैन्य तनाव के बीच इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने एक बार फिर भारत की सीमाओं को गलत तरीके से पेश करने वाला नक्शा साझा कर विवाद खड़ा कर दिया है। शुक्रवार, 13 जून 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए इस नक्शे में ईरान की मिसाइलों की रेंज को दर्शाया गया था, लेकिन इसमें जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया गया, जिससे भारतीय यूजर्स में रोष फैल गया।
क्या था नक्शे में गलती?
IDF द्वारा साझा किए गए नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दर्शाया गया, जबकि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को नेपाल से जोड़ा गया। यह गलती भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाती है, खासकर तब जब चीन ने 2020 में अरुणाचल प्रदेश को “साउथ तिब्बत” कहकर दावा किया था।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं, जिसमें एक यूजर ने लिखा, “इजरायल, भारत की सीमाओं को सही करें, ऐसी गलतियां बर्दाश्त नहीं!”
IDF ने मांगी माफी
विवाद बढ़ने के बाद IDF ने शनिवार को एक बयान जारी कर माफी मांगी। बयान में कहा गया, “यह पोस्ट केवल क्षेत्र का एक चित्रण है और नक्शा सीमाओं को सटीक रूप से दर्शाता नहीं है। इस तस्वीर से हुई किसी भी ठेस के लिए हम क्षमा चाहते हैं।” भारत में इजरायल के राजदूत ने भी एक यूजर की शिकायत पर जवाब देते हुए कहा कि यह एक “खराब अनपेक्षित इन्फोग्राफिक” था, जिसे हटाने या ठीक करने के लिए कहा गया है।
पुराना विवाद दोहराया
यह पहली बार नहीं है जब इजरायल ने भारत का गलत नक्शा पेश किया हो। पिछले साल भी एक समान घटना हुई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर को गलत तरीके से दिखाया गया था। उस समय भी इजरायली राजदूत ने इसे वेबसाइट एडिटर की गलती करार देते हुए नक्शे को हटा लिया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गलती पुराने या राजनीतिक रूप से पक्षपाती मानचित्र डेटा पर निर्भरता का नतीजा हो सकती है, जैसा कि 2021 की एक कार्टोग्राफी एंड ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन साइंस स्टडी में चेतावनी दी गई थी।
भारत-इजरायल संबंधों पर असर?
भारत और इजरायल के बीच 1992 से मजबूत रक्षा, प्रौद्योगिकी और खुफिया सहयोग रहा है, जिसमें 2023 के SIPRI डेटा के अनुसार रक्षा व्यापार सालाना 10 अरब डॉलर से अधिक है। हाल के दिनों में इजरायल के “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान पर हमले और भारत का इस्राइल के साथ सैन्य सहयोग बढ़ने से क्षेत्रीय गतिशीलता में बदलाव देखा जा रहा है।