काठमांडू : नेपाल की राजधानी काठमांडू और माउंट एवरेस्ट के पास एक ऐसी घटना सामने आई है, जो वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। 9,000 फीट की ऊंचाई पर 10 किंग कोबरा सांपों की मौजूदगी दर्ज की गई है, जो आमतौर पर ट्रॉपिकल और उमस भरे गर्म इलाकों में पाए जाते हैं। यह घटना न केवल असामान्य है, बल्कि विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकेत मान रहे हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि इनमें से 9 सांप किंग कोबरा और एक मोनोकल्ड कोबरा हैं। किंग कोबरा, जो दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है और 18 फीट तक बढ़ सकता है, आमतौर पर भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और फिलीपींस के घने जंगलों में रहता है। लेकिन अब इन सांपों का हिमालय क्षेत्र में दिखाई देना विशेषज्ञों के लिए पहेली बना हुआ है।
नेपाल के पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान हर साल 0.05°C की दर से बढ़ रहा है, जिसके कारण गर्म माइक्रोक्लाइमेट बन रहे हैं। यह बदलाव उष्णकटिबंधीय प्रजातियों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बसने का मौका दे रहा है।
नेपाल फॉरेस्ट्री इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ बिश्नु पांडे ने बताया कि कोविड-19 से पहले गौरीशंकर रेंज में किंग कोबरा के अंडे मिले थे, जो इस बात का सबूत है कि ये सांप अब स्थायी रूप से प्रजनन कर सकते हैं। एक 2022 के अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण सरीसृपों की सीमा हर दशक में 1,000 फीट ऊपर की ओर बढ़ रही है, जो इस घटना को और पुख्ता करता है।
मानवीय हस्तक्षेप की भी संभावना
हालांकि, सभी विशेषज्ञ एक राय पर नहीं हैं। सर्प रेस्क्यू इंस्ट्रक्टर सुबोध आचार्य का मानना है कि ये सांप लकड़ी या भूसे से लदे ट्रकों में छिपकर पहाड़ी इलाकों तक पहुंचे हो सकते हैं। मानवीय गतिविधियों के कारण इन प्रजातियों का नए क्षेत्रों में प्रसार एक संभावित कारक हो सकता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन को मुख्य कारण माना जा रहा है।
स्थानीय लोगों में डर और पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा
काठमांडू के रिहायशी इलाकों में इन सांपों की मौजूदगी ने लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। इन्हें सुरक्षित रूप से पकड़कर जंगलों में छोड़ा गया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल शुरुआत हो सकती है। अगर तापमान में वृद्धि जारी रही, तो स्थानीय जैव विविधता और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ सकता है। नेपाल के तराई क्षेत्र में पहले से ही सर्पदंश से हर साल 2,700 मौतें होती हैं, और अब पहाड़ी क्षेत्रों में इस खतरे का बढ़ना चिंताजनक है।
जलवायु परिवर्तन की चेतावनी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना केवल एक प्राकृतिक बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर परिणति है। हिमालय क्षेत्र में तापमान वैश्विक औसत से अधिक तेजी से बढ़ रहा है, जो नेपाल को दुनिया के सबसे जलवायु-संवेदनशील देशों में से एक बनाता है। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि समय रहते प्रभावी कदम न उठाए गए तो यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।