राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला उनकी धार्मिक गतिविधियों से जुड़ा है, लेकिन विवाद का कारण उनकी आस्था नहीं, बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में बनाए गए एक विवादित वीडियो को लेकर है। तेज प्रताप ने हाल ही में अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वे एक मंदिर में शिवलिंग के सामने ध्यान मुद्रा में बैठे हैं और पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है कि अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चाण्डाल का, काल भी उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का! ना पूछो मुझसे मेरी पहचान, मैं तो भस्मधारी हूं। हर हर महादेव।” हालांकि इस वीडियो में स्थान की पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इससे पहले वायरल हुए एक अन्य वीडियो ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह वीडियो काशी विश्वनाथ मंदिर के ‘रेड जोन’ का बताया जा रहा है, जहां तेज प्रताप यादव मोबाइल फोन का उपयोग करते और वीडियो बनाते दिख रहे हैं।
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मंदिर के ‘रेड जोन’ में मोबाइल प्रतिबंधित
काशी विश्वनाथ मंदिर का ‘रेड जोन’ सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, जहां मोबाइल फोन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। यह क्षेत्र मंदिर कॉरिडोर के भीतर स्थित है और इसकी निगरानी सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस द्वारा की जाती है। मंदिर प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने कहा कि हमें सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों से जानकारी मिली है कि एक राजनीतिक व्यक्ति द्वारा मंदिर परिसर के प्रतिबंधित क्षेत्र में वीडियो बनाया गया है। सीआरपीएफ और पुलिस को इसकी जांच के लिए सूचित किया गया है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर यह जांच करेगा कि सुरक्षा में चूक कहां हुई और किस स्तर पर लापरवाही रही। यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
तेज प्रताप की छवि: भक्ति बनाम विवाद
तेज प्रताप यादव अक्सर अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक छवि को लेकर चर्चा में रहते हैं। कभी वे भगवान कृष्ण के वेश में राधा-कृष्ण की लीलाएं करते नजर आते हैं, तो कभी खुद को महाकाल का भक्त बताते हुए भस्मधारी बन जाते हैं। उनके समर्थक उन्हें “श्रद्धालु नेता” मानते हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि वे कई बार धार्मिक नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हैं।