बिहार कांग्रेस में अंदरूनी कलह अब सतह पर आ गई है। दो दिन पहले मौर्या होटल में आयोजित विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक उस समय चर्चा का केंद्र बन गई जब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कांग्रेस के सहप्रभारी सुशील पासी पर तीखा हमला बोलते हुए चेतावनी दे डाली। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि पार्टी दलित सम्मेलन और पासी वोट बैंक को प्राथमिकता देती रही, तो कांग्रेस अपना परंपरागत सवर्ण समाज (भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ) का वोट खो सकती है।
क्या हुआ मौर्या होटल में?
राहुल गांधी के बिहार दौरे के बाद पहली बार आयोजित इस बैठक में अखिलेश सिंह की मौजूदगी ने सबको चौंकाया। पिछले कई महीनों से वे पार्टी गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे। लेकिन इस बार उन्होंने बैठक में भाग लेकर सीधे पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को साफ कहा कि “आप जिस राह पर चल रहे हैं, वहां से कांग्रेस का मूल वोट बैंक दूर हो जाएगा। पासी सम्मेलन और दलित वोट को साधने की कोशिशों से पार्टी को कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि जो स्वर्ण समाज आज भी कांग्रेस के साथ है, वह भी छिटक जाएगा।”
सहप्रभारी सुशील पासी पर सीधा हमला बोलते हुए अखिलेश सिंह ने पूछा कि क्या आप पासी समाज का वोट कांग्रेस को दिलवा पाएंगे? उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की रणनीति भले ही ओबीसी, ईबीसी और दलितों को केंद्र में रखे, लेकिन कांग्रेस की ताकत उसकी विविध सामाजिक आधार रही है — जिसमें अगड़े, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक सभी शामिल हैं।
कांग्रेस-RJD गठबंधन पर भी सवाल
अखिलेश सिंह ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव कांग्रेस को सीटें इसलिए देते हैं क्योंकि कांग्रेस को सवर्ण समाज का वोट मिलता है — जो आरजेडी को नहीं मिलता। ऐसे में अगर कांग्रेस स्वर्ण समाज से कटने लगी तो गठबंधन का गणित ही बिगड़ सकता है।
रणनीति पर नेतृत्व को सोचने की जरूरत
इस पूरे घटनाक्रम में एक बड़ा राजनीतिक संदेश छिपा है — कांग्रेस के भीतर सवर्ण समाज से आने वाले नेता असहज महसूस कर रहे हैं। वे मानते हैं कि पार्टी की नई नीति उन्हें दरकिनार कर रही है। वरिष्ठ नेता और विधायक अजीत शर्मा सहित अन्य लोगों ने भी अखिलेश सिंह के रुख को समर्थन या मौन सहमति दी। कोई खुलकर विरोध में नहीं आया।