21 जुलाई 2025 से शुरू हो रहे बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र सिर्फ एक नियमित विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक एजेंडों और जनभावनाओं की कसौटी बनने जा रहा है। पांच दिवसीय यह सत्र (21 से 25 जुलाई) संभावित रूप से 17वीं विधानसभा का अंतिम सत्र हो सकता है। इस सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव, लोक-लुभावन घोषणाओं की बौछार, और जनहित के कानूनों पर बहस की पूरी संभावना है।
सरकार की रणनीति: बजट, घोषणाएं और मतदाताओं को साधने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस सत्र को चुनावी दृष्टिकोण से वोट-बैंक केंद्रित रणनीति का हिस्सा बना रही है। संभावित घोषणाओं में:
- 41 विभागों के लिए अनुपूरक बजट का प्रस्ताव, जिसमें विकास योजनाओं और लोक कल्याणकारी नीतियों को बढ़ावा मिलेगा।
- महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं, जैसे आर्थिक सशक्तिकरण, स्वरोजगार, सुरक्षा योजना आदि।
- शिक्षकों के लिए वेतन, प्रोन्नति और सुविधाओं में सुधार — लगभग 6 लाख शिक्षकों को सीधा लाभ मिल सकता है।
सरकार चाहती है कि यह सत्र जनता को यह संदेश दे कि वह विकास और जन-हित के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि आगामी चुनाव में उसे बढ़त मिल सके।
विपक्ष की रणनीति: बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर सरकार को घेरने की तैयारी
महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल आदि) इस सत्र में सरकार को तीखे सवालों और विरोध प्रदर्शनों से घेरने की तैयारी में है।
विपक्ष का मुख्य फोकस होगा:
- बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं की नाराजगी
- कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली