प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीवान दौरे को लेकर बिहार की राजनीति में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी पर करारा हमला करते हुए कहा कि बिहार को ना “पॉकेटमार प्रधानमंत्री” चाहिए और ना ही “अचेत मुख्यमंत्री”। तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी के भाषण को “घिसा-पिटा” और “टेलीप्रॉम्पटर आधारित” बताते हुए कहा कि उसमें कोई नया कंटेंट नहीं था। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि सीवान को आपने 10 साल में क्या दिया, सिर्फ भाषण से तो किसी का पेट नहीं भरता। उन्होंने दावा किया कि भीड़ को प्रशासनिक दबाव और सरकारी संसाधनों से जबरदस्ती जुटाया गया।
“PM की एक रैली = 100 करोड़ खर्च”
तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री की एक रैली में 100 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। बिहार जैसे गरीब राज्य से बीजेपी देश की सबसे अमीर पार्टी होने के बावजूद खर्चा करवाती है। डिप्टी CM सम्राट चौधरी हेलीकॉप्टर से 5 बार सीवान आए, ये खर्च किसका था? बिहार की जनता का पैसा बीजेपी के प्रचार में क्यों लग रहा है? तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी के भाषण में रेलवे इंजन का जिक्र होने पर तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मोदी जी जिस रेल इंजन की बात कर रहे थे, वो लालू यादव के बनवाए कारखाने से निकलता है। इस पर वाहवाही लेना शर्मनाक है।

सारण विकास मंच भी विरोध में
वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीवान दौरे को लेकर सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पीएम ने सीवान की धरती से जो भाषण दिया, वह न तो जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरा, न ही उसमें कोई नयापन था। यह भाषण मोदी जी की पुरानी आदतों का दोहराव मात्र था—सरकारी मंच को खुलेआम राजनीतिक प्रचार का अड्डा बनाना, आत्ममुग्धता से लबालब बातें करना और वास्तविक मुद्दों से पूरी तरह कन्नी काट लेना।
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मोदी जी ने फिर एक बार साबित कर दिया कि वे जनता से नहीं, कैमरे से संवाद करते हैं। सीवान में उन्होंने अपने मंत्रियों और गठबंधन के सहयोगियों की गिनती तो की, लेकिन जानबूझकर उन चेहरों को नजरअंदाज किया जो सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक हैं। उन्होंने सीवान की मौजूदा महिला सांसद और गोपालगंज के दलित सांसद—दोनों का नाम लेना जरूरी नहीं समझा। क्या यह महज संयोग है? नहीं। यह मोदी जी की राजनीति में जातिगत भेदभाव और सत्ता की संकीर्ण सोच का स्पष्ट प्रमाण है।
इतना ही नहीं, सीवान की रैली में उन्होंने सारण और महाराजगंज के सांसदों, राजीव प्रताप रूडी और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, का भी नाम लेना जरूरी नहीं समझा, जबकि भीड़ जुटाने में इन्हीं क्षेत्रों के लोगों को प्रशासनिक दबाव डालकर घसीटा गया था।
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि प्रधानमंत्री ने राजपूत समुदाय के नेताओं की सुनियोजित उपेक्षा की। जब सत्ता चाहिए थी तो राजपूतों को गले लगाया और जब सत्ता मिल गई तो उन्हें हाशिये पर फेंक दिया। न केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई राजपूत चेहरा, न एनडीए के किसी घटक दल में उनकी कोई अहम भूमिका—यह मोदी सरकार की राजनीतिक अवसरवादिता और राजपूत विरोधी मानसिकता का साफ संकेत है।
उन्होंने कहा कि सीवान की यह रैली हर पैमाने पर विफल रही—न जनसमर्थन जुटा, न सन्देश स्पष्ट हुआ और न ही कोई विकास की बात सामने आई। यह रैली मोदी जी की नैतिक पराजय और राजनीतिक थकान का जीवंत उदाहरण बनकर रह गई।