नई दिल्ली : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान पर सैन्य कार्रवाई के फैसले पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। इस फैसले के लिए दो हफ्तों का समय मांगा गया है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है।
ईरान और इजरायल के बीच जारी प्रॉक्सी संघर्ष के बीच यह विकास महत्वपूर्ण है। हाल के दिनों में ईरान समर्थित समूहों और अमेरिकी बलों के बीच सीरिया में मिसाइल हमले और झड़पें हुई हैं, जिसने क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।
ट्रंप के इस कदम से पहले, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर कई कदम उठाए हैं, जिसमें यूरेनियम संवर्धन की सीमाओं को नजरअंदाज करना शामिल है। यह कदम 2020 में अमेरिका द्वारा शीर्ष ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद उठाया गया था।
यूरोप और अमेरिका दोनों ही ईरान को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इजरायल के साथ जारी तनाव के बीच यह मुश्किल हो रहा है। बीबीसी और रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोप ईरान को परमाणु वार्ता में वापस लाने की कोशिश कर रहा है, जबकि अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होने के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
इस बीच, मध्य पूर्व में तनाव जारी है, और ईरान की ओर से इजरायल पर मिसाइल हमले की धमकी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। ट्रंप के फैसले से न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी गहरा असर पड़ सकता है।