सीवान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पॉकेटमार बताया था। तेजस्वी के इस बयान के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है। बीजेपी के साथ साथ सत्ताधारी दल तेजस्वी यादव पर हमलावर हो गए हैं। साथ ही भाजपा ने चारा चोर वाला पोस्टर भी लगा दिया। विवादित बयान देकर घिरे तेजस्वी यादव ने अब अपने उस बयान का असली मतलब समझाने की कोशिश की है।
Tejashwi Yadav के बयान से सुलगी Bihar की सियासत, ‘मेरा बाप चारा चोर है’ पोस्टर से गरमाई राजनीति
उन्होंने एक्स पर लिखा है कि जनता की पॉकेट मारने वाले को पॉकेटमार ही कहा जाता है, मददगार नहीं? उन्होंने पीएम मोदी के रैली पर खर्च होने वाले पैसे का जिक्र किया है और पूरा आंकड़ा बता दिया है। सरकारी खर्चे से यानि जनता की पॉकेट से प्रधानमंत्री की एक रैली का खर्चा- 100 करोड़। विगत 5 चुनावों में प्रधानमंत्री जी बिहार में 200 से अधिक रैली एवं जनसभा कर चुके है।
इसलिए जनता की जेब से निकला कुल खर्च:-
रैली/जनसभा- 200
एक रैली पर खर्च- 100 करोड़
खर्चा- 200 *100 =20,000 करोड़!
Yes! 20 हजार करोड़!!!!!!!
आयोजन का बहाना है सरकारी
लेकिन प्रयोजन है प्रचार चुनावी।
सरकारी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जी केंद्र की 11 वर्षों एवं बिहार की 20 वर्षों की NDA सरकार की उपलब्धियों व खामियों इत्यादि का ज़िक्र ना कर के केवल विपक्ष को गाली देने के लिए बिहार आते है तथा एक कार्यक्रम पर जनता की जेब से 100 करोड़ रुपए खर्च निकलवाते है। चालाकी से अपने प्रचार-प्रसार और चेहरा चमकाने के लिए जनता की जेब से हजारों करोड़ रुपए निकलवाने वालों को आप क्या कहेंगे?
बिहार चुनाव से पहले नीतीश सरकार का पेंशन मास्टरस्ट्रोक
बिहार जैसे गरीब राज्य को कुछ दे नहीं सकते तो लेते भी क्यूं हो? रैलियों के माध्यम से बिहार की जनता का 20 हजार करोड़ लूटने और लुटाने वाले गुनहगार ऊपर से ईमानदार, तारणहार और खेवनहार बनने का नाटक रच रहे है? और हाँ! जनता की पॉकेट मारने वाले को पॉकेटमार ही कहा जाता है, मददगार नहीं?