नई दिल्ली : आज सुबह एक शानदार क्षण में, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और इसरो अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (उपनाम ‘शुक्स’) अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए, जो भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हैं। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी और एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की ओर ले गया। यह मिशन नासा, इसरो और एक्सिओम स्पेस के बीच एक अभूतपूर्व सहयोग का परिणाम है, जिसमें शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं।
लॉन्च का रोमांचक क्षण
सुबह की उड़ान, जो केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से हुई, कोविड-19 के बाद के दौर में मानव अंतरिक्ष उड़ान के सबसे लंबे संगरोध काल के बाद संपन्न हुई। फाल्कन 9 ने क्रू ड्रैगन कैप्सूल (C213) को निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया, जो अगले 28 घंटों में आईएसएस से जुड़ने वाला है। लॉन्च के दौरान ली गई तस्वीरों में शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम—पेगी व्हिटसन (मिशन कमांडर), स्लावोश उजनांस्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कपु (हंगरी)—दृढ़ संकल्प के साथ अंतरिक्ष यान में नजर आए।
ऐतिहासिक उपलब्धि और वैज्ञानिक मिशन
यह मिशन केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पोलैंड और हंगरी के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि यह इन देशों का पहला आईएसएस मिशन है। कुल 31 देशों—जिनमें भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राजील, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, और यूरोप शामिल हैं—के लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग इस मिशन के केंद्र में हैं। हंगरी का ह्यूनोर मिशन और पोलैंड का इग्निस मिशन अपने-अपने देशों के पहले अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर इतिहास रच रहे हैं, जबकि शुभांशु शुक्ला इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे हैं।
चुनौतियों से उबरते हुए सफलता
मिशन की शुरुआत में तकनीकी अड़चनें आईं, जब 11 जून को एक तरल ऑक्सीजन रिसाव के कारण लॉन्च को रद्द करना पड़ा था। रूसी अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लीक की मरम्मत के बाद, नासा ने 22 जून के लॉन्च को भी स्थगित कर दिया, लेकिन आज की सफलता ने इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त की। यह निजी अंतरिक्ष उड़ान क्षेत्र में एक्सिओम स्पेस की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जो नासा के अगले चरण (NextSTEP) पहल के तहत 2020 में 140 मिलियन डॉलर के अनुबंध के साथ उभरा है।
परिवार और देश का गर्व
शुभांशु की बहन निधि मिश्रा ने भावुक होकर कहा, “यह मेरे लिए और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती, बस इतना कहूंगी कि शुभांशु, आपका मिशन सफल हो और आप सुरक्षित लौटें।” उनके माता-पिता भी इस ऐतिहासिक पल पर गर्व और भावुकता से भरे नजर आए।
भविष्य की ओर एक कदम
एक्सिओम मिशन 4 न केवल वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है, बल्कि निजी अंतरिक्ष उड़ान के भविष्य को भी आकार दे रहा है। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल और फाल्कन 9 की तकनीक, जो नासा के अभियान 73 के साथ तालमेल में काम कर रही है, मानवता को पृथ्वी से परे ले जाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। शुभांशु शुक्ला की सफलता भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में और मजबूत स्थिति में लाएगी।