नई दिल्ली : भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी अपडेट सामने आई है। रूस ने भारत को अपनी अत्याधुनिक S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की चौथी और पांचवीं बैटरी की डिलीवरी की समयसीमा की घोषणा की है। यह कदम भारत की हवाई सुरक्षा को और मजबूत करेगा, खासकर बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे खतरों से निपटने में।
2018 में भारत और रूस के बीच 5.4 अरब डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें पांच S-400 रेजिमेंट की आपूर्ति शामिल थी। इस सौदे के तहत पहली यूनिट दिसंबर 2021 में भारत पहुंच चुकी है। हाल ही में अप्रैल 2025 में 48N6DM मिसाइल के सफल इंटरसेप्शन टेस्ट ने इस सिस्टम की क्षमता को और प्रमाणित किया है। अब चौथी और पांचवीं बैटरी की डिलीवरी का इंतजार है, जो भारत की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाई देगी।
यह विकास भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग को दर्शाता है, जिसे 2021-2031 के लिए हस्ताक्षरित समझौते से और मजबूती मिली है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, जी20 और शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों पर भी दिखाई देता है। हालांकि, अमेरिका ने रूस से सैन्य खरीद पर CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी, जिसके बावजूद भारत ने यह सौदा आगे बढ़ाया।
आज ही, 26 जून 2025 को, रूस ने यूक्रेन के 50 ड्रोनों को मार गिराया, जो S-400 सिस्टम की प्रभावशीलता को रेखांकित करता है। हालांकि, इस सिस्टम के बड़े पैमाने पर युद्ध में प्रदर्शन का कोई पियर-रिव्यूड डेटा उपलब्ध नहीं है, जिससे भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं, खासकर अमेरिका के साथ अपने संबंधों को देखते हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि S-400 भारत की हवाई सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, लेकिन अमेरिकी दबाव और सिस्टम की वास्तविक युद्ध क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। आने वाले समय में भारत को अपनी रक्षा नीति में संतुलन बनाए रखना होगा।
यह खबर भारत की रक्षा तैयारियों और वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही है। आगे की अपडेट्स के लिए बने रहें।