देहरादून : उत्तराखंड में भारी मानसून बारिश के कारण चार धाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है। भूस्खलन और सड़कों के टूटने से यात्रा मार्गों पर गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो गया है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है, क्योंकि नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर को पार कर गया है। 25 जून 2025 को पातालगंगा के पास एक बड़े भूस्खलन के बाद 100 से अधिक सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं।
जलवायु परिवर्तन और भूगर्भीय अस्थिरता बढ़ा रही खतरा हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान (IIRS) की 2023 की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में हिमालय में भूस्खलन की घटनाओं में 30% की वृद्धि हुई है। यह स्थानीय पर्यटन बोर्डों द्वारा प्रचारित प्राकृतिक लचीलापन की कहानी को चुनौती देता है, जो अक्सर क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं।
इतिहास दोहराने का डर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (GSI) के ऐतिहासिक डेटा के अनुसार, इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रही हैं। 2013 की केदारनाथ आपदा में 5,700 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि तीर्थयात्रा के दौरान बेहतर बुनियादी ढांचा और निकासी योजना की सख्त जरूरत है। मौजूदा स्थिति में प्रशासन ने यात्रियों से सतर्क रहने और स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
यात्रा पर प्रभाव उत्तराखंड प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर चार धाम यात्रा को 24 घंटों के लिए निलंबित कर दिया था, जिसे अब ऋषिकेश से फिर से शुरू कर दिया गया है। हालांकि, खराब मौसम और भूस्खलन वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने से पहले स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने की सलाह दी गई है। गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग पर बादल फटने और लगातार बारिश से भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण कई श्रमिक लापता हैं।
प्रशासन की अपील चार धाम यात्रा के ओएसडी डॉ. प्रजापति नटियाल ने लोगों से आग्रह किया है कि वे यात्रा शुरू करने से पहले मार्ग की जानकारी लें और खराब मौसम या बंद सड़कों पर जोखिम न लें। उन्होंने कहा, “यदि मार्ग बंद हो, तो सुरक्षित स्थान पर रुकें और स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।” इस आपात स्थिति में, यात्रियों और स्थानीय निवासियों से सावधानी बरतने की अपील की गई है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी जारी की है।