झारखंड की राजनीति में हूल दिवस पर भोगनाडीह में हुई हिंसा को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए उनकी तुलना जनरल डायर से की है। मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि “हेमंत सरकार आज जनरल डायर की भूमिका निभाती नजर आ रही है। जिस तरह जलियांवाला बाग में बैसाखी मना रहे लोगों पर गोलियां चलाई गई थीं, उसी तरह हूल दिवस पर अपने शहीदों को याद कर रहे आदिवासियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले बरसाए गए।”
क्या हुआ था भोगनाडीह में?
30 जून को हूल दिवस के मौके पर भोगनाडीह में आदिवासियों ने संताल विद्रोह के नायक सिद्धो-कान्हू मुर्मू को श्रद्धांजलि दी। विवाद तब शुरू हुआ जब शहीद के वंशज जंडल मुर्मू ने सिद्धो-कान्हू पार्क का ताला तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस और आदिवासियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें पथराव और तीर-धनुष से हमला हुआ। पुलिस ने लाठीचार्ज, आंसू गैस और हवाई फायरिंग से भीड़ को नियंत्रित किया। एसडीपीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसके बाद पूरे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
“आदिवासियों की अस्मिता कुचली जा रही है”: मरांडी
मरांडी ने हेमंत सरकार पर “तानाशाही” और “तुष्टिकरण की राजनीति” का आरोप लगाते हुए कहा कि “हेमंत सोरेन डरते हैं कि अगर आदिवासी समाज ने बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ संगठित आंदोलन शुरू कर दिया तो उनका तुष्टिकरण का महल ढह जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि
“मंचों पर आदिवासी प्रतीकों की बात करने वाले नेता, मैदान में उन्हीं प्रतीकों पर लाठी चलवा रहे हैं। लेकिन आदिवासी समाज न भूलेगा, न माफ़ करेगा।”