सरकार ने देशभर में उबर, ओला और रैपिडो (Ola, Uber, Rapido ) जैसे कैब एग्रीगेटर्स को राहत देते हुए उन्हें पीक ऑवर्स के दौरान बेस फेयर से दो गुना तक किराया वसूलने की अनुमति दे दी है। यह छूट पहले से लागू 1.5 गुना डायनमिक प्राइसिंग की सीमा से अधिक है और इसे यात्रियों के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह फैसला सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा मंगलवार को जारी Motor Vehicle Aggregator Guidelines, 2025 के रिवाइज्ड वर्जन के तहत लिया गया है। गाइडलाइंस में किराए की नई सीमाओं, डेड माइलेज शुल्क, और ड्राइवरों की आय संरचना सहित कई अहम बदलाव शामिल हैं।
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नई नीति के तहत, एग्रीगेटर्स गैर-पीक घंटों में बेस फेयर का न्यूनतम 50% किराया वसूल सकते हैं। इसका उद्देश्य ऑफ-पीक समय में यात्रियों को सस्ती सेवा उपलब्ध कराना है। नए नियमों के अनुसार, यदि यात्रा की दूरी 3 किलोमीटर से कम है, तभी डेड माइलेज (यानी यात्री को लेने तक का सफर) के लिए शुल्क लिया जा सकता है। अन्यथा, किराया सिर्फ उस दूरी का लिया जाएगा जो यात्री के पिकअप पॉइंट से ड्रॉप लोकेशन तक है।
ड्राइवर को मिलेगा अधिक हिस्सा
सरकार ने ड्राइवरों की आय सुनिश्चित करने के लिए भी गाइडलाइंस में अहम संशोधन किया है:
- एग्रीगेटर के साथ काम करने वाले ड्राइवर को कुल किराए का कम से कम 80% हिस्सा मिलेगा।
- यदि वाहन एग्रीगेटर के स्वामित्व में है, तो ड्राइवर को 60% हिस्सा मिलेगा।
- भुगतान की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है — एग्रीगेटर और ड्राइवर के बीच समझौते के अनुसार भुगतान दैनिक, साप्ताहिक या अधिकतम 15 दिनों में करना अनिवार्य होगा।
राज्यों को तीन महीने में अपनाना होगा नया नियम
MoRTH ने राज्यों को सलाह दी है कि वे इन नए दिशानिर्देशों को तीन महीने के भीतर अपनाएं और लागू करें। साथ ही, प्रत्येक राज्य की परिवहन नीति के तहत जो किराया तय किया गया है, वही ‘बेस फेयर’ माना जाएगा। इस फैसले से जहां एक ओर ड्राइवरों की आमदनी में वृद्धि हो सकती है, वहीं यात्रियों को पीक टाइम में यात्रा महंगी पड़ सकती है। खासतौर पर मेट्रो शहरों में, जहां सुबह और शाम के व्यस्त समय में कैब की मांग अधिक रहती है, वहां दोगुना किराया यात्रियों के बजट पर असर डाल सकता है।
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उबर, ओला और रैपिडो जैसे एग्रीगेटर्स ने इस कदम का स्वागत किया है और कहा है कि इससे सेवा की गुणवत्ता बेहतर होगी और ड्राइवरों को बेहतर आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। वहीं उपभोक्ता संगठनों ने किराया नियंत्रण तंत्र की मांग की है ताकि यात्रियों का आर्थिक शोषण न हो। Motor Vehicle Aggregator Guidelines, 2025 का यह संशोधित संस्करण ड्राइवरों की आमदनी बढ़ाने और एग्रीगेटर सिस्टम में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, पीक ऑवर्स में किराया दोगुना होने से आम यात्रियों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकारें इन दिशानिर्देशों को किस गति से लागू करती हैं।