बिहार में अगले विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने बड़े सवाल उठाए हैं। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने इस प्रक्रिया को “अपारदर्शी और अव्यवहारिक” बताते हुए आरोप लगाया है कि यह सोची-समझी रणनीति के तहत लाखों मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित करने की साजिश हो सकती है।
20 साल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण, पर क्यों?
राजेश राम ने बताया कि बिहार में पिछले 20 वर्षों में पहली बार इतने बड़े स्तर पर वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किया जा रहा है। उनका सवाल है – जब राज्य सरकार के पास सक्षम अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है, तो यह काम कैसे होगा? सरकारी विभागों में 4 लाख पद रिक्त हैं, फिर यह प्रक्रिया कौन संभालेगा?
BLO के पास संसाधन नहीं, फिर कैसे होगा सही सत्यापन?
बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) पर इस पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी है, लेकिन कांग्रेस नेता का कहना है कि उन्हें पर्याप्त संसाधन नहीं दिए गए हैं। एक BLO के पास हजारों मतदाताओं की जिम्मेदारी है, लेकिन न तो उन्हें तकनीकी सहायता मिल रही है और न ही पर्याप्त स्टाफ। क्या यह जानबूझकर किया जा रहा है ताकि गलतियां हों और बड़ी संख्या में लोग वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएं?
प्रवासी मजदूर और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र – दोहरी मार
इस प्रक्रिया का समय भी विवादों में है। राजेश राम ने बताया कि यह काम उस समय किया जा रहा है जब बिहार के लाखों लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जा चुके हैं। राज्य के कई हिस्से बाढ़ से प्रभावित हैं, जहां लोगों तक पहुंचना मुश्किल है। क्या चुनाव आयोग चाहता है कि ये लोग वोटर लिस्ट से स्वतः हट जाएं क्योंकि वे घर पर नहीं हैं?
चुनाव आयोग का नियम – “दो बार जाएंगे अधिकारी, फिर नाम कटेगा”
चुनाव आयोग ने कहा है कि अधिकारी मतदाताओं के घर दो बार जाएंगे। यदि कोई व्यक्ति खुद को सत्यापित नहीं करवाता है, तो उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस का मानना है कि यह प्रक्रिया गरीबों, प्रवासियों और दूरदराज के लोगों के खिलाफ है, जिनके पास जागरूकता या संसाधनों की कमी होती है।
NDA सरकार पर सवाल – “20 साल में क्यों नहीं हुआ यह काम?”
राजेश राम ने NDA सरकार पर निशाना साधते हुए कहा – पिछले 20 साल में सरकार ने कभी भी वोटर लिस्ट को अपडेट करने की कोई गंभीर पहल नहीं की। अचानक चुनाव से ठीक पहले यह काम शुरू किया गया है। क्या यह सत्ता पक्ष को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है?