भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ सकता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party – BJP) अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए एक महिला नेता को चुने जाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह न केवल संगठनात्मक दृष्टि से एक बड़ा बदलाव होगा, बल्कि यह भाजपा के महिला मतदाताओं को लुभाने की रणनीति का भी स्पष्ट संकेत है।
जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था, जिसे जून 2025 तक बढ़ाया गया था। अब पार्टी नए अध्यक्ष की घोषणा के बेहद करीब है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा नेतृत्व के सामने तीन महिला चेहरों के नाम प्रमुखता से उभरकर आए हैं: निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वनाथी श्रीनिवासन।
महिला नेतृत्व के पीछे की रणनीति
भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में महिला मतदाताओं के बीच जबरदस्त समर्थन हासिल किया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में महिला वोट बैंक भाजपा के पक्ष में निर्णायक साबित हुआ है। साथ ही, महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने और आगामी परिसीमन के चलते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब महिला चेहरा आगे लाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
निर्मला सीतारमण: अनुभव और संगठनात्मक पकड़
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम सबसे मजबूत दावेदारों में से एक है। उनके पास रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय दोनों का अनुभव है, जो उन्हें एक प्रभावशाली और परिपक्व नेता बनाता है। साथ ही, भाजपा के दक्षिण भारत विस्तार की रणनीति में उनका आना बड़ा कदम हो सकता है। हाल ही में पार्टी मुख्यालय में जेपी नड्डा और बीएल संतोष के साथ उनकी गहन बैठक ने अटकलों को और तेज किया है।
डी. पुरंदेश्वरी: अनुभवी और बहुभाषी नेतृत्व
आंध्र प्रदेश की वरिष्ठ भाजपा नेता डी. पुरंदेश्वरी, जिन्होंने अतीत में कांग्रेस के साथ भी काम किया है, अब भाजपा के भीतर एक मजबूत महिला नेतृत्व के रूप में उभरी हैं। वे न केवल एक अनुभवी प्रशासक हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे कार्यक्रमों का हिस्सा भी रही हैं, जिससे उनकी वैश्विक समझ और रणनीतिक सोच सामने आती है।
वनाथी श्रीनिवासन: संगठन की आत्मा
तमिलनाडु से भाजपा विधायक और महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष वनाथी श्रीनिवासन पार्टी के जमीनी ढांचे से जुड़ी रही हैं। वे न केवल दक्षिण भारत में भाजपा के संगठनात्मक काम को मजबूती देने वाली नेता हैं, बल्कि वे 2022 में केंद्रीय चुनाव समिति की पहली तमिल महिला सदस्य भी बनीं। उनका लंबा संघ और संगठन से रिश्ता उन्हें एक स्थायी और व्यावहारिक नेता बनाता है।
संघ का समर्थन और विचारधारा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी इस बदलाव के प्रति सकारात्मक नजरिया रखता है। संघ का मानना है कि महिला नेतृत्व को आगे लाने का यह समय उपयुक्त है, खासकर तब जब महिला आरक्षण बिल को लेकर जनता में जागरूकता और अपेक्षा बढ़ी है। संघ का यह समर्थन भाजपा के भीतर बदलाव के इस संकेत को और बल देता है।