बिहार में कांग्रेस पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर संगठनात्मक युद्धघोष कर दिया है। आज पटना स्थित कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम की अध्यक्षता में सभी 38 जिलों के जिला अध्यक्षों और कार्यकारी अध्यक्षों ने भाग लेंगे।
यह बैठक चुनावी दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है। कांग्रेस ने अब जमीनी स्तर, विशेषकर बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति को गति देने का निर्णय लिया है। इसके तहत महिलाओं, दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर खास फोकस किया जा रहा है।
संगठन समीक्षा और टिकट वितरण की भूमिका
बैठक में जिलाध्यक्षों के अब तक के कार्यों की समीक्षा की जाएगी। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी चुनाव में जिलाध्यक्षों की भूमिका केवल संगठन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि टिकट वितरण और उम्मीदवार चयन में भी उन्हें निर्णायक भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। यह बात संकेत देती है कि कांग्रेस अब पुराने ढर्रे से हटकर, स्थानीय नेतृत्व को सशक्त बनाकर चलने की योजना में है।
‘हर घर झंडा’ और ‘माई-बहिन मान योजना’ की मॉनिटरिंग
राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस अपने वैचारिक प्रचार को नई गति देना चाहती है। ‘हर घर झंडा, हर घर कांग्रेस’ अभियान के तहत पार्टी विचारों को जनता तक पहुँचाने का अभियान तेज कर रही है। साथ ही, ‘माई-बहिन मान योजना’ को हर गांव और हर घर तक ले जाने का लक्ष्य भी सामने रखा गया है, जिससे महिला वोट बैंक को साधा जा सके।
सामाजिक-आर्थिक पुनरीक्षण को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस
एक और रणनीतिक बिंदु जो बैठक में सामने आया, वह है बिहार में चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तावित सामाजिक-आर्थिक पुनरीक्षण। कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को जनता के हक़ की आवाज़ बनाकर आंदोलन का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह मुद्दा जातीय प्रतिनिधित्व, सरकारी योजनाओं में हिस्सेदारी और न्यायसंगत संसाधन वितरण से जुड़ा है — और कांग्रेस इसे पूरी ताकत से उठाने की योजना बना रही है।
संगठन में जातीय संतुलन और चुनौतियां
तीन महीने पहले नियुक्त किए गए 40 नए जिलाध्यक्षों में कांग्रेस ने सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश की थी। इनमें से 14 सवर्ण, 5 दलित, 6 मुस्लिम और केवल 1 महिला जिलाध्यक्ष हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि पार्टी को अभी भी महिला प्रतिनिधित्व को और बढ़ाने की जरूरत है। कांग्रेस ने 12 जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हैं ताकि संगठनात्मक भार साझा किया जा सके।
हालांकि, हालात पूरी तरह शांत नहीं हैं। बक्सर के जिलाध्यक्ष मनोज पांडे को भीड़ नहीं जुटा पाने के कारण निलंबित किया गया था। वहीं औरंगाबाद के जिलाध्यक्ष राकेश सिंह ने कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति से नाराज़ होकर इस्तीफा दे दिया था।