बिहार में ठीक चुनाव से पहले मतदाता पुनरीक्षण का काम हो रह है। जिसको लेकर विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है और निशाना साध रहा है। इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने बताया कि लोगों के पास कागज नहीं है। मतदाता पुनरीक्षण से लोग परेशान हो रहे हैं। तेजस्वी यादव ने एक समाचार पत्र का हवाला देते हुए लिखा है कि यह खबर मोदी-शाह की चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही तानाशाही का जीता जागता नमूना है।
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खबर में ज़मीनी हकीकत बताते हुए लिखा गया है किमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निज़ी इलाके नालंदा तक में सन्नाटा गहराता जा रहा है और चुनाव आयोग की वोटिंग शर्तों को लेकर आम लोगों में गहरा भ्रम फैला हुआ है। कल्याण बीघा के अधिकतर लोगों के पास अपनी पहचान के लिए सिफ आधार कार्ड है। जिसे चुनाव आयोग प्रमाण के लिए मात्र रद्दी कागज़ मान रहा है। हज़ारों लोग अपने कागज़ात ले कर भटक रहे हैं। बीएलओ उनसे कह रहे है कि नया प्रमाण पत्र बनवाइये।
इस अफरातफरी में यह सरकार गरीबों के वोट के अधिकार को लूटने में लगी हैं। करोड़ों लोग रोजी-रोटी के लिए बिहार से बाहर है जबकि मात्र 20 दिन का समय कागज़ात बनवाने के लिये बचा हैं। इससे साफ है कि मोदी-नीतीश-शाह ने अपनी कठपुतली चुनाव आयोग को गरीबों, दलितों, पिछड़ों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। लेकिन याद रखिये कि बिहार की जनता लोकतंत्र को ध्वस्त करने के किसी षड्यंत्र का मुंहतोड़ जवाब देना जानती है।

वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर कहा कि जब आपको (मतदाताओं के) नाम काटने ही हैं तो आसानी से काट लेंगे, उसमें क्या है? काम मुश्किल तब होगा जब आपकी नीयत साफ होगी। 2003 में बिहार में जब यही पुनरीक्षण हुआ था तब एक साल की समय लगा था। अब आप केवल 25 दिनों में इस प्रक्रिया को पूर्ण कर लेंगे? तो आपकी नीयत तो यही है कि केवल नाम काटने हैं, कागजों की जांच नहीं करनी और आपको तो मालूम ही है कि किस वर्ग के नाम काटने हैं। हमारे पास तमाम विकल्प सड़क से लेकर संसद तक खुले हैं और इस देश में किसी एक संस्था की दादागिरी नहीं चल सकती।”

इधर, भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि 5 करोड़ लोगों को पुनरीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है। 70 से 80 लाख लोगों को दस्तावेज दिखाने पड़ेंगे। जो लोग पढ़ते नहीं हैं, कुछ जानते नहीं है और जो लोग मान चुके हैं कि वे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 हार गए हैं, वही लोग इस पुनरीक्षण को लेकर विधवा विलाप कर रहे हैं। लालू यादव जैसे बड़े घोटालेबाज के सत्ता में रहते हुए भी यदि कोई घोटाला पुनरीक्षण में नहीं हुआ तब अब क्यों कोई गड़बड़ होगी?”